अणु तेल नाक में डालने के फायदे, बनाने की विधि और नुकसान

Anu Tel Naak Me Dalne Ke Fayde अनु तेल नस्य में डालने हेतु एक आयुर्वेदिक तेल है। कोरोना पेडेमिक के समय इसे लोगो ने इस्तेमाल किया था इसका उपयोग दो तरीको से किया जाता है पहला दिचर्या और दूसरा पंचकर्म। 

नस्य चिकित्सा मुख्य रूप से सिर दर्द, गले की तकलीफ और अन्य प्रकार की शारीरिक समस्याओ में राहत दिला सकता है। इस आर्टिकल में जानिए अणु तेल नाक में डालने के फायदे, उपयोग और क्या नुकसान हो सकते है। 

अणु तेल नाक में डालने के फायदे, बनाने की विधि और नुकसान


अणु तेल 27 प्रकार की औषधियों से निर्मित होता है और इसे नासिका के माध्यम से शरीर में प्रवेश कराया जाता है। नाक द्वार से जा जाने पर यह उस मार्ग से जुड़े अन्य मार्गो के अवरोधों को शुद्ध करने के साथ उसे खोलता है जिससे माइग्रेन, बाल झड़ना, सिर  को दूर करता है। 

अणु तेल कैसे कार्य करता है ?

आयुर्वेद में पंचकर्म चिकित्सा बहुत प्रचलित है इसी पांच कर्मो में एक होता है नस्य कर्म यानि नाक के द्वारा उपचार करना।  

अणु तेल को पंचकर्म और दिनचर्या इन दो तरीको से उपयोग किया जाता है।  दिनचर्या विधि को घर पर आराम से किसी भी वक्त और आयु वर्ग के लोग ले सकते है। वही पंचकर्म को घर पर नहीं किया जाता है इसमें तेल की मात्रा अधिक डाली जाती है। लेंकिन इस्तेमाल से पहले आयुर्वेदिक एक्सपर्ट से सलाह आवश्यक है। 

नस्य के माध्यम से पहुंचाई जाने वाली कोई भी आयुर्वेदिक दवा मस्तिष्क को भी प्रभावित करती है और वहां जाकर कोप युक्त दोषो से मुक्त करती है ।  इसके अलावा यह वात, कफ पित्त तीनो दोषो से सम्बंधित हुई तकलीफ का शमन करता है।  मस्तिष्क  के अलावा यह जिह्वा, कंठ, नेत्र, कर्ण के लिए एक सर्वोत्तम औषधि है। 

अणु तेल शामिल मुख्य घटक 

मधुयष्टि, सफ़ेद चन्दन, अगरु, प्रपौंड्रिक, सुगन्धबाला, नीलकमल, नागरमोथा, खस, सारिवा, शालपर्णी, जीवंती, शतावरी, रेणुका, पद्मकेसर, बृहती, पृश्निपर्णी, दालचीनी, केवटी मोथा आदि।   

अणु तेल की उपयोगिता और फायदे - Uses Of Anu Oil In Hindi

  • यह तेल नाक सम्बन्धी विकारो जैसे - साइनस, रायइनाइटिस, प्रतिश्याय(पीनस) को ठीक करता है। 
  • गर्दन से जुडी तालीफ़ में राहत दे जैसे - चेहरे के आधे हिस्से में टेढ़ापन, अकड़न। 
  • सिर से जुडी समस्याएं जैसे - असमय बालो का सफ़ेद होना(पालित्य), माइग्रेन, बालो का अधिक झड़ना। 
  • अणु तेल से आपकी इंद्रिया मजबूत होसोचने समझने की शक्ति बढ़ती है जिससे एंजाएटी और डिप्रेशन विकार को शांत करने में बहुत प्रभावी है। 
  • अनिद्रा, तनाव मुक्त करने में प्रभावी। 
  • सर्दी, कफ, जुखाम में बहुत आराम दे। 
  • कण दर्द में भी उपयोगी। 
  • जबड़े की जकड़न(हनुसंग्रह), चहेरे को तेज प्रदान करे। 

अणु तेल कैसे बनता है?

सभी घटको को आपस में बराबर लेकर, 100 ग्राम शुद्ध पानी में तब तक उबाले जब तक यह दसवा भाग न रह जाये।  इसके बाद जो बचता है उसे दूसरे बर्तन में लेकर तिल के तेल के साथ फिर से उबाला जाता है जब तक की तेल न बच जाये।  इस प्रकार करीब नौ बार यह प्रक्रिया दोहराई जाती है। 

अब अंत में बचे हुए  तेल में बकरी का दूध मिला दिया जाता है और तेल बचने तक एक बार फिर से उबाला जाता है । इस प्रकार अणु तेल प्राप्त होता है। 


अणु तेल नाक में कितनी बार डालना चाहिए?

  • रात को सोने से पहले अणु तेल की 2-2 बून्द नाक में डालने से संक्रमण होने के खतरा कम हो जाता है वही कफ छटने में भी उपयोगी होता है। 
  • चरक संहिता में निर्देशित है कि नस्य कर्म को बसंत, वर्षा और शरद ऋतु में करना चाहिए इस दौरान यदि आकाश साफ़ हो यानि बदली न हो तो और भी अच्छा रहता है। 

अणु तेल कितने का आता है?

पतंजलि की 20 मिली अणु तेल की कीमत 40/- है। 

क्या हम कान में अणु तेल का उपयोग कर सकते हैं?

जी हाँ, अणु तेल को आप कान दर्द के लिए डॉक्टरी परामर्श  कर सकते है। 

अणु तेल के नुकसान -

अनु तेल का अभी तक कोई खास नुकसान(side effect) सामने नहीं आया है। लेकिन स्वयं से पंचकर्म क्रिया द्वारा करने की कोशिश न करे। 

नाक द्वारा दवा लेने पर गला जाम, कफ जैसी कुछ लोगो में शिकायत हो सकती है। 

डिस्क्लेमर 

इस लेख में अणु तेल को नाक में डालने के फायदे, बनाने की विधि और नुकसान केवल सामान्य जानकारी के लिए बताये गए है इसे इस्तेमाल करने से पहले किसी अच्छे आयुर्वेदिक विशेष्ज्ञ से सलाह ले।