स्वर्ण भस्म के आयुर्वेदिक फायदे, सेवन विधि और बनाने का तरीका

 

स्वर्ण भस्म के  आयुर्वेदिक फायदे, सेवन विधि और बनाने का तरीका

स्वर्ण भस्म(golden ash/bhasma in hindi) एक पारंपरिक शक्तिशाली, एंटीऑक्सीडेंट आयुर्वेदिक औषधि है जो जीर्ण ज्वर, सूक्ष्म जीवाणु संक्रमण,  तपेदिक सहित कई बिमारियों से सुरक्षा करती है।  इस आर्टिकल में जानिए स्वर्ण भस्म के क्या फायदे हो सकते है इसे उपयोग करने का तरीका और दुष्प्रभाव। 

प्रकृति  भोजन, खनिज, धातु अनगिनत चीज़े प्रदान करती है।  इसके अलावा कई ऐसी उपहार भी देती है आयुर्वेद चिकित्सा में प्रयोग की जाती है इसी में से एक है स्वर्ण भस्म जो कि एक कीमती दवाओं में से एक है इसके स्वास्थ्य के लिए अलौकिक लाभ है जिनके बारे में आपको जानना चाहिए। 

स्वर्ण भस्म क्या है? - What is Swarna Bhasma in hindi?

स्वर्ण भस्म(golden bhasma) एक आयुर्वेदिक औषधि है जो सोने को भस्म करके बनायीं जाती है।  इसे मोनोएटोमिक गोल्ड के नाम से भी जाना जाता है। इसमें सोने के एकदम सूक्ष्म(लगभग 98%) कोलाइडल कण होते हैं। यह एक महंगी आयुर्वेदिक दवा हो सकती है।यह तंत्रिका तंत्र सबंधित बीमारी, डीएमए,  बांझपन, यक्ष्मा, स्मृति, विषाक्तता, अम्लता, नेत्रश्लेष्मलाशोथ, जलन, संधिशोथ  आदि प्रकार के रोगो में बहुत मददगार होती है। 

स्वर्ण भस्म के फायदे स्वास्थ्य के लिए - Advantages of Swarn Bhasam in hindi?


रक्त को शुद्ध करे 

शरीर से कई विषाक्त पदार्थ स्वर्ण भस्म के सेवन से निकल सकते हैं। कई बार गलत जीवनशैली  रक्त में विषाक्तता आ जाती है। स्वर्ण भस्म में रोगाणुरोधी और एंटीटॉक्सिन गुण टॉक्सिन्स पदार्थों को साफ करता हैं।

तंत्रिका तंत्र के लिए स्वर्ण भस्म के लाभ

यूनानी  और आयुर्वेद चिकित्सा में उपयोग की जाने वाली पारंपरिक रूप से सोने की तैयार भस्म का उपयोग सुरक्षा के साथ  जाती है।  यह एंटीकैटेलेप्टिक गुणों वाली और अवसादरोधी होती है। तंत्रिका तंत्र सबंधी बीमारी के लिए यह बेहद फायदेमंद होती है लेकिन डॉक्टरी सलाह अवश्य लें।  

स्मरण शक्ति में सुधार करता है

उम्र बढ़ने के साथ हो व्यक्ति की याददाश्त भी कमजोर होना भो एक आम समस्या है जरुरी नहीं की सभी को हो। स्वर्ण भस्म की सिमित मात्रा याददश्त को लाभ पहुँचाती है। सही खुराक के लिए चिकित्सक का मार्गदर्शन ले सकते हैं।

त्वचा रोगों के इलाज में मदद करता है

 त्वचा  सम्बन्धी पुराने विकारों को दूर करने स्किन की कई दवाओं में स्वर्ण भस्म उपयोग क जाती है । यह सूजन-रोधी क्रोनिक एट्रोफिक डर्मेटाइटिस गुणों से युक्त , सोरायसिस,  इंफेक्शन आदि जैसे विकारों के इलाज में लाभकारी हैं।

रुमेटी गठिया का इलाज

रुमेटीइड गठिया(आरए) जोड़ो और शरीर में कई जगह सूजन होने संबंधी बीमारी है। आयुर्वेद के अनुसार यह वात दोष के कारण भी होता है, स्वर्ण भस्म शरीर में वात दोष को बैलेंस करने में मदद करता है। 


स्वर्ण भस्म का सेवन कब और कैसे करे ?

स्वर्ण भस्म को 15 से 50 मिली ग्रा  दूध, शहद और गाये के घी के साथ खाना चाहिए वही कुछ लोग च्यवनप्रास के साथ भी खाते है।  इसे भोजन के दो घंटे पहले या बाद में ले। 

1 ग्राम स्वर्ण भस्म की कीमत कितनी हो सकती है ?


एक ग्राम स्वर्ण भस्म की कीमत 7000 रुपये से 12000 रुपये तक हो सकती है। 

किस ब्रांड का स्वर्ण भस्म अच्छा होता है ?


आपको बैद्यनाथ, पतंजलि का स्वर्ण भस्म आराम से मिल जायेगा। 

स्वर्ण भस्म तैयार करने का तरीका - how to make swarna bhasma in hindi

स्वर्ण भस्म को बनाने के लिए शोधन, द्रवण और मरण के तीन स्टेप्स(चरणों) का उपयोग किया जाता है जिससे स्वर्ण शुद्ध हो सके। 

पहला तरीका 

सबसे पहले, सोने की पत्तियों को गर्म किया जाता है और फिर लाल होने तक तिल (सीसमम इंडिकम) के तेल में डुबोया जाता है। यह प्रक्रिया सात बार दोहराई जाती है। 

इसके बाद, छाछ/गोमूत्र, गाय का कुलत्था (डोलिचस बाइफ्लोरस) काढ़ा, चावल से बना खट्टा घी(कांजी) में तीन-तीन बार बुझाया जाता है। इससे स्वर्ण शुद्ध हो जाता है फिर इसे भस्म बनाया जा सकता है। 

दूसरा तरीका 

सोने क पत्तियों के बहुत छोटे टुकड़े कर लिए जाते है और इसे मिट्टी से पुते हुए कांच के एक पात्र में रख लिया जाता है। 

अब इस पात्र को त्रिपादिका में रख कर इसके नीचे सुरदीपक जलाया जाता है। अब इसमें थोड़ा-थोड़ा करके लवण, द्रव तब तक डाले जब तक सोना गल न जाये। 

गलने के बाद इसे पकाते रहे। 

अब इस पात्र जिमे स्वर्ण है इसमें थोड़ा जल और इसके बाद ऑक्सेलिक एसिड डाल कर पकाये। 

स्वर्ण  के बहुत सूक्ष्म कण जब पात्र  बैठ जाये तो इसे पानी से अच्छे से धोये तब तक, जब तक अम्लता खत्म न हो जाये। इससे स्वर्ण के कण और शुद्ध हो जाते है। 

 

स्वर्ण को भस्म बनाने कई विधिया है जिनमे से एक यह है। 

शुद्ध सुबर्णा (शुद्ध सोना)

अरंडी का पत्ता

शुद्ध पारद (शुद्ध पारा)

शुद्ध गंधक (शुद्ध सल्फर)


ट्राइटुरेट शुद्ध सोना(pure gold) और पारा एक मिश्रण बनाया जाता हैं।

इसके बाद एक मिट्टी के क्रूसिबल पर एरंडा पत्र/अरंडी का पत्ता रखें।

अमल गम और शुद्ध सल्फर को समान मात्रा में मिलाकर एक गांठ बना लें और इसे पत्ते पर रख दें।

बोलस के ऊपर, एक और अरंडी का पत्ता रखें और इसे एक और मिट्टी के क्रूसिबल से ढक दें।

पूरे मिट्टी के बर्तन को मिट्टी से लगे हुए कपड़े से ढककर कैल्सीनेशन भट्ठी में रख दे।

शुद्ध सोना प्राप्त करने के लिए इस प्रक्रिया को 13 बार दोहराएं।


स्वर्ण भस्म के दुष्प्रभाव - side effects of swarna bhasma in hindi

हालाँकि स्वर्ण भस्म के कोई खास और स्पष्ट दुष्प्रभाव नहीं हैं, लेकिन मात्रा से अधिक दोषपूर्ण तरीके से सेवन करने पर नुकसानदायक हो सकता है। 

अधिक लम्बे समय तक सेवन करना भी उत्तम नहीं है। 

गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाएं चिकित्सक सलाह ले। 

सही खुराक के लिए एक बार अपने डॉक्टर से संपर्क करे। 



डिस्क्लेमर 

स्वर्ण भस्म स्वास्थ्य के लिए बहुत ही बेहतरीन होती है तब जब इसकी सही खुराक ली जाये इसलिए किसी एक्सपर्ट या डॉक्टर से इसके बारे में सलाह ले और यदि आप किसी विशेष रोग से पीड़ित है और दवा का सेवन कर रहे है तो उसे भी बताये।