विजयसार चूर्ण शुगर सहित अन्य रोगो में फायदे, उपयोग और नुकसान

vijaysar churn ke fayde विजयसार औषधीय गुणों से भरपूर होता है इसे मलबार कीनो भी कहा जाता है। यह लिवर और शुगर के अलावा अन्य बीमारियों में बहुत लाभकारी है  जानिए विजयसार चूर्ण का विभिन्न शारीरिक समस्यों में क्या उपयोगिता है। 

विजयसार चूर्ण शुगर सहित अन्य रोगो में फायदे, उपयोग और नुकसान


विषय सूची 




विजयसार क्या होता है – What is Vijaysar in Hindi


विजयसार या बीजा को इंग्लिश में इंडियन किनो ट्री और मालाबार ट्री के नाम से जाना जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम पेट्रोक्रॉप्स मारसूपियम (Pterocarpus marsupium) है। 

भारत में यह प्रायद्वीपीय क्षेत्र में लगभग 1400 मी की ऊँचाई पर अण्डमान द्वीप समूह, गुजरात से लेकर बिहार, दक्षिणी में पर्णपाती सदाहरित वनों से लेकर श्रीलंका तक पाया जाता है। 

इसका पेड़ करीब तीस मी तक ऊँचा और ढाई मी. तक मोटा हो सकता है। इसकी छाल में आघात करने पर गहरे लाल रंग के माणिक के समान का गोंद निकलता है और यही सूख कर कठोर व काला हो जाता है। इसको उबालकर, सुखाकर प्रयोग किया जाता है बाद में इसे तोड़ने से भूरे रंग का चूरा निकलता है तथा चबाने से यह दांतों में चिपक जाता है। इसके पुष्प पीत वर्ण के सुगन्धित होते हैं और मार्च के महीने में खिलते है। 


विजयसार के गुण और धर्म क्या हैं?

विजयसार का विभिन्न पारंपरिक चिकित्सा पद्धति जैसे -आयुर्वेद में, होम्योपैथिक चिकित्सा, यूनानी में उल्लेख मिलता है।

यह कषाय, लघु, तिक्त, कटु, कफपित्तशामक, उष्ण तथा रूक्ष होता है। इसके अलावा यह एंटी-बैक्टीरियल,  एंटीडायबिटिक, कार्डियोटोनिक, एंटी-कैटरेक्ट, एंटी-हाइपरलिपिडेमिक, एंटीऑक्सीडेंट, हेपेटोप्रोटेक्टिव,  एंटी-कैंसर, एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से संपन्न होता है। 

वानस्पतिक नाम (Botanical Name)

पेट्रोकार्पस मारसूपियम (Pterocarpus Marsupium)

कुल (Family)

Fabaceae (फैबेसी)

हिंदी (Hindi)

विजयसार या बीजा

अंग्रेजी (English)

 इंडियन किनो ट्री,  बास्टर्ड टीक (Bastard teaks) और मालाबार ट्री

संस्कृत (Sanskrit)

पीतसार, असन,  बन्धूकपुष्प

अन्य (Other)

दामुल अरववैन, बीया (Bia), बीब्ला (Bibla), पीरासाराम (Pirasaram) aad


विजयसार में मौजूद तत्व – Vijaysar Nutritional Value in Hindi

विजयसार में प्रकार के पौष्टिक तत्व मौजूद होते हैं। इनमें,  सैपोनिन, ग्लाइकोसाइड,  फ्लेवोनोइड्स  और टैनिन आदि तत्व शामिल हैं। इसके अतिरिक्त इसमें टेरोस्टिलबिन (pterostilbene), एपिकेचिन (epicatechin), स्टिलबिन (Stilbene),  β-यूडेस्मोल (β-eudesmol), कैटेचिन (catechin), ट्राइटरपीन अल्कोहल (triterpene alcohol), चेल्कोन (chalcone), एरिथ्रोडिओल-3-मोनोसेटेट (erythrodiol-3-monoacetate),  पी-हाइड्रॉक्सीबेन्जेल्डिहाइड (p-hydroxybenzaldehyde), एल्डिहाइड (aldehyde) स्यूडोबैप्टिजेनिन (pseudobaptigenin), लिक्विरिटिजेनिन (liquiritigenin), गारबनजोल (garbanzol), 5-डीऑक्सीकेम्पेरोल (5-deoxy kaempferol),  आइसोलिक्विरिटिजेनिन (isoliquiritigenin),   आदि भी मौजूद होते हैं

विजयसार चूर्ण के औषधिये फायदे Vijaysar Churn Benefits in Hindi 


पेट के कृमि(कीड़े) से मुक्ति

बच्चों के पेट में कींडे हो गए हो तो नियमित रूप से विजयसार छाल से तैयार चूर्ण को थोड़ा-थोड़ा अपने बच्चो को दे।  इससे समस्या से छुटकारा मिल सकता है। 


नेत्र को बल देने वाला - 

तिल और विभीतक तेल के समान भाग में चार गुना भृङ्गराज स्वरस तथा विजयसार का क्वाथ मिलाकर लोहे के पात्र में पाककर, ठंडा करे और फिर एक से दो बून्द नाक द्वारा लेने से आँखों का बल बढ़ता है।  

पीलिया में फायदेमंद है विजयसार (Vijaysar for Jaundice in Hindi) 


बीजक सारारिष्ट का 10 से 20 मिली सेवन करने से (पीलिया, खून की कमी(रक्ताल्पता), कामला, प्रमेह, हृद्रोग, गठिया(वातरक्त), अरोचक, श्वास (दमा), विषमज्वर (मलेरिया), कास (खांसी)  में बहुत लाभ होता है।

वजन घटाने के लिए विजयसर पाउडर का उपयोग कैसे करें?-

 15-30 मिली विजयसार के क्वाथ में मधु मिलाकर नियमित प्रातकाल में सेवन करने से मोटापा घटाने में आसानी होती है।

लिवर के स्वास्थ्य के लिए 


विजयसार की लकड़ी और पत्तियां आप लिवर से सम्बंधित समस्याओ को दूर करने के लिए टॉनिक के रूप में उपयोग कर सकते है  कर सकते हैं। इसकी छाल में मेथेनॉलिक अर्क, हेपेटोप्रोटेक्टिव के गुण होते है जो लिवर को छति से बचाते है।


दन्तशूल(दन्त दर्द)-


विजयसार की छाल के चूर्ण को दांतों पर अच्छे से मलने से दांत दर्द (दन्तशूल) का शमन हो सकता है।


मधुमेह में लाभकारी है विजयसार (Vijaysar in Diabetes in Hindi) –


विजयसार के त्वक् क्वाथ को 15 से 20 मिली मुधमेह में उपयोग करने से बहुत फायदा होता है।

उपदंश में -

नीम, परवल, चिरायता, अथवा त्रिफला के क्वाथ(चूर्ण) में गुग्गुलु, खदिर सार तथा विजय सार मिलाकर पीना उपदंश में फायदेमंद होता है।

मासिक धर्म न आने पर (नष्टार्तव)-

सज्जीक्षार, ज्योतिष्मती के पत्ते, विजयसार तथा वचा को पीसकर दूध के साथ तीन दिन सेवन करने से रुका हुआ माहवारी पुनः स्रवित होने लगता है।

सफेद पानी (श्वेतप्रदर ) रोग में राहत दे -


विजयसार से प्राप्त गोंद में स्तम्भक का प्रबल गुण होने से, यह श्वेत प्रदर में स्थानिक उपयोग किया जाता है।

विजयसार चूर्ण ज्वर से आराम दिलाता है  (Vijaysar for fever in hindi) 


विजयसार पुष्प के 1-2 ग्राम चूर्ण में शहद मिलाकर सेवन करने बुखार का शमन होता है।

वाजीकरण में उपयोगी - 


15 से 25 मिली बीजक के क्वाथ में शक्कर, त्रिफला, घी तथा शहद  मिलाकर प्रतिदिन नियमित सेवन करने से रसायन गुणों की प्राप्ति होती है।

सफेद दाग (श्वित्र) के लिए -


लोहे के बर्तन या पात्र में तेल में भुने गए भृंगराज के पत्तों का साग खाकर, विजयसार चूर्ण के साथ विजयसार का क्षीरपाक अथवा दूध  पीना श्वित्र रोग में दवाई साबित होती है।

दाद (दद्रु) शमन के लिए -

विजयसार के काष्ठीय भाग को पीसकर दाद वाले प्रभावित स्थान पर इसका लेप लगाने से लाभ होता है।

हाथी पांव या फाइलेरिया  में लाभदायक (Vijaysar for Filariasis in hindi) –


 प्रात काल प्रतिदिन बीजक, खदिर तथा शाल कल्क में मधु और गोमूत्र मिलाकर पीने से हाथी पांव(श्लीपद ) में जल्दी आराम होता है।


कोढ़ (कुष्ठ) रोग में -

बीजक या विजयसार की अन्तकाष्ठ को पीसे और फिर लेप रूप में लगाने से कोढ़ में असरदार होता है।

रसायन गुणों की प्राप्ति -

प्रतिदिन 1-2 ग्राम बीजक सारभाग को एक वर्ष तक लोहे की कढ़ाई में अच्छे से लेप करके रातभर के लिए छोड़कर सवेरे 200 जल में लेप को घोलकर पीने से कई रोगों (व्याधियों) से छूटकारा मिलता है। 

विजयसार त्वक् तथा पत्र कल्क को लगाने से कण्डू, पामा, श्वित्र व कुष्ठ का शमन होता है।


विजयसार चूर्ण का सेवन कैसे  करे ?


तकरीबन एक वर्ष तक प्रात काल प्रतिदिन 2 से 4 ग्राम  विजयसार के कल्क को दूध में मिलाकर पीने से अथवा  एक वर्ष तक सेवन करने से रसायन गुणों को बढ़ावा मिलता है। इसके अतिरिक्त 1-2 ग्राम चूर्ण में घृत, मधु , मिलाकर भी दूध के साथ ले सकते है। 

विजयसार का उपयोगी भाग 

पुष्प (फूल), अन्तकाष्ठ, छाल , गोंद और पत्ते।  

विजयसार के इस्तेमाल का तरीका – How to Use Vijaysar in Hindi


  • विजयसार के सीधे फल के रूप में खाया जा सकता है।
  • इसके पत्तों का काढ़ा बनाया जा सकता है।
  • वही पत्तों का लेप बनाकर घाव पर लगा सकते है लेकिन पहले पीस ले। 
  • इसके पत्तों को अच्छी तरह सुखाकर क्वाथ या चूर्ण की तरह उपयोग कर सकते है।
  • बीजक लकड़ी को भी चूर्ण रूप में सकते है।
  • विजयसार के गोंद में औषधिये गुण होते है। 


विजयसार की कितनी खुराक ले 

बीजकारिष्ट को 10-२0 मिली। 

त्वक चूर्ण(क्वाथ) 15-20 मिली, सुबह या शाम चिकित्सीय परामर्श पर। 


विजयसार के नुकसान 

हालांकि बीजक के कोई खास दुष्प्रभाव नहीं है लेकिन गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाये और वे व्यक्ति जो अन्य किसी रोग से पीड़ित है और कोई औषधि का इस्तेमाल कर रहे है तो पहले  पहले डॉक्टर से सलाह अवश्य ले।  

विजयसार में टैनिन की  भी मौजूदगी होती है जिसके अधिक सेवन करने से मतली और लीवर की समस्या पेट में जलन, दर्द हो सकता है। 

विजयसार को कब्ज के दौरान नहीं खाना चाहिए क्योंकि इसका कसैला प्रभाव नुकसान कर सकता है।


डिस्क्लेमर 

इस लेख में दी गयी जानकारी केवल सामान्य ज्ञान के लिए है।  डॉक्टर से सलाह मश्वरा जरुरी है।