कुण्डलिनी जागरण के समय शरीर में दर्द क्यों होता है जानिए अनुभव और उपाए

 Kundalini Awakening Body Pain In Hindi कुण्डलिनी जागरण एक शक्ति के समान है जिसके सम्बन्ध में लोगो के मन में कई तरह के प्रश्न उठते है, वैसे  सामान्य लक्षण के जैसे हो सकते है लेकिन इसके अलावा कुछ कम और अधिक व्यक्तिगत अनुभव हो सकते है।  आज यहाँ जानिए कुण्डलिनी जाग्रत के दौरान होने वाले दर्द व अनुभव और इसके बाद क्या होता है ?

कुण्डलिनी जागरण के समय शरीर में दर्द क्यों होता है जानिए अनुभव और उपाए

ध्यान रहे कुण्डलिनी जागरण किसी अच्छे गुरु से ही करवाना चाहिए। क्योंकि कुण्डलिनी ऊर्जा में कोई विवेक नहीं है एक सच्चा गुरु सुरक्षित और विधि पूर्वक करवाता है।  आप कही से भी आधी-अधूरे जानकारी पढ़कर इसे एक्टिवेट करना खरतनाक हो सकता है।  

जब इस ऊर्जा का उद्घाटन होता है तो शुरुवात में संघर्ष जैसा लग सकता है। इसे स्वीकार करे। 

कुण्डलिनी जागरण के समय शरीर में दर्द क्यों होता है? - Why Does Body Feel Pain During Kundalini Awakening In Hindi 

कुंडलिनी के जागरण से आपके शरीर में विभिन्न तरह के दर्द की समस्याएं हो सकती हैं। यह दर्द शरीर के चक्र वाले स्थानों पर  भी हो सकता है। कुंडलिनी जागरण के इन प्रभावों से बचने के लिए  उचित प्रशिक्षण से गुजरना चाहिए जैसे -ध्यान, प्राणायाम, अहंकार को दूर रखना आदि।

आमतौर पर, कुंडलिनी जागरण की प्रक्रिया के दौरान, आपको अपनी गर्दन में अत्यधिक दर्द महसूस हो सकता है।दर्द उत्पन्न होने के कई कारण होते हैं। 

कुण्डलिनी जाग्रत होने पर आपकी ऊर्जा नीचे से प्रवाहित होते हुए ऊपर की और जाती है। आप मानसिक और शारीरिक रूप से कई बदलाव महसूस करते है। इसकी वजह से तंत्रिका तंत्र, नाड़ी की गतिविधियों आदि में परिवर्तन हो सकता है। हो सकता है कि यह आपको अन्यायपूर्ण लगे।  

ऐसा इसलिए क्योंकि व्यक्ति के शरीर में संगृहीत अनुबंधित ऊर्जा मुक्त होने के लिए एकीकरण होकर सतह पर पहुँचती है तो शरीर में विभिन्न प्रकार के अनुभव होता है क्योंकि यह ऊर्जा तेज होती है और उसे काबू करने के प्रयास किया जाता है जिसके वजह से पीड़ा के लक्षण उजागर होते है।  

इन सभी चीज़ो में बदलाव के वजह से शरीर, रीढ़ की हड्डी और सिर में दर्द होता है।  कई बार जब यह ऊर्जा किसी एक चक्र में रुक जाती है तो उस चक्र से सम्बंधित पीड़ा और दोष उत्पन्न होने लगते है।  क्योंकि हम अपनी कई तरह की भावनाओ  लेते जो एक ऊर्जा के जब यह कुंडलिनी की ऊर्जा सबसे ऊपर सहस्त्रार चक्र जो की सिर पर होती है यदि सक्रिय नहीं है तो वहां दर्द होने लगता है। 

लेकिन यह दर्द हमेशा के लिए नहीं है बल्कि अस्थायी(temporary) तौर पर होता है।  योग, ध्यान के जरिये राहत मिल जाती है। 

इसके अलावा दर्द का का कारण कोई पुरानी चोट भी हो सकती है आपके शरीर के सिस्टम में सूक्ष्म तरीके से बंद हो गई है जिसे बाहर निकालने की जरुरत है। इसे ब्लॉक भी कहते हैं जब यह मुक्त होती है तो सिहरन होती है।  

कुंडलिनी जागृत होने पर क्या अनुभव होता है? - 

इसका अनुभव सिर्फ वही व्यक्ति बता सकता है जिसकी कुंडलिनी जाग्रत हुई हो।  इसके बाद आपको महसूस होता है जैसे आपने कभी अपने आपके बारे में जाना ही नहीं। जब यह जगती है तो आपको उस समय कुछ भी समझ नहीं आता है। 

कुछ दिनों तक तो आप अपने आपको इस भौतिक दुनिया से जोड़ नहीं पाते है।  आपको संसार में सब झूठ-मिथ्या लगता है यह शुरुवात में थोड़ा वैसे हो सकता है जैसे जब आपकी आध्यात्मिक जाग्रति होती है और आपको पहले से अलग महसूस होता है ।  

कुण्डिलिनी जागरण के बाद क्या होता है ?

शुरुवात में आपको कठिन अनुभव हो सकते है लेकिन कुछ दिनों बाद स्वयं पहले से बहुत स्वस्थ महसूस करने लगेंगे।  आपके अंदर से अहंकार,मोह माया, डर आदि धीरे-धीरे दूर होते जायेंगे।  आपके अंदर रचनाकमकता, दया, दुसरो को माफ़ करना जैसी स्थिति उत्पन्न होने लगेगी।  अध्यात्म की और अपका मन लगने लगता है। 

स्वयं को बहुत हल्का प्रतीत होता हुआ पाते है। आपकी रीढ़ की हड्डी या शरीर के बीच में प्रवाह महसूस कर सकते है। 

कुंडलिनी के लक्षण कितने समय तक रहते हैं?

प्रत्येक व्यक्ति में कुण्डलिनी जगने के लक्षण के दिन अलग-अलग हो सकते है।  यह कुछ दिन, महीने या एक वर्ष तक भी रह सकते है लेकिन फिर चले जाते है। 

इस नए पथ पर तालमेल बैठाने और दर्द के लक्षणों से राहत पाने के लिए स्वयं को समय दे।  मन को शांत रखे, गंभीर विचार से न लड़े। यह आपके कई अनसुलझे सवालो को हल कर सकती है।