श्रीमद्भागवत गीता क्या है इसके अध्याय और श्लोक

 

श्रीमद्भागवत गीता क्या है  इसके अध्याय और श्लोक

bhagwat geeta kya hai श्रीमद्भागवत गीता को सुनने और पढ़ने से व्यक्ति को उसके जीवन का अर्थ समझ आ जाता है। यदि वह किसी निराशा से घिरा और बाहर निकलने का रास्ता नहीं मिल रहा, अनिश्चय की  स्थति में है या धर्मसंकट से जूझ रहा तो इसे आत्मसात करने से सभी प्रश्नों के उत्तर मिलते है। जिहोन ने भी इसका अध्ययन किया है वे इसके बारे में बखूबी जानते है विदेश के कई महान लोगो ने भी इसका अध्ययन किया है और इसकी दाद दी है। आइए जानते श्रीमद्भागवत गीता क्या है और उसमें किस प्रकार के उपदेश और अध्याय है -

श्रीमद्भागवत गीता क्या है ? Bhagvad Geeta kya hai 

श्रीमद्भागवत गीता जिसका दूसरा नाम गीतोपनिषद है। इसमें 18 अध्याय और कुल 700 श्लोक है जो पांच हजार सत्तर साल पहले महर्षि कृष्ण दैपायन व्यास द्वारा संकलित की गई थी। यह किसी धर्म-जाति नहीं बल्कि कर्मो को महान बनाने सन्देश देता है। 

 

श्रीमद्भागवत गीता का क्या अर्थ है- meaning of bhagwat geeta hai.

भागवत का अर्थ भगवान और गीता यानी गीत, अर्थात भगवान के गीत। भागवत गीता में मनुष्य के सभी प्रश्नों के उत्तर मिलते है। इसे पढ़ने मात्र से जीवन परिवर्तन हो जाता है। यह पुस्तक/ग्रंथ जीवन का सार है। इसमें अंकित एक-एक श्लोक आज भी प्रासंगिक है।
श्रीमद्भागवद्गगीता महाभारत के भीष्म पर्व के अध्याय के अन्तर्गत आती है। 


भागवत गीता कुरुक्षेत्र में महाभारत के युद्ध के दौरान एकादशी के दिन, अर्जुन जब भीष्म पितामह से युद्ध करने के दौरान मोह और धर्मसंकट में फस गए थे तब श्रीकृष्ण ने  विश्वरूप (विराट रूप) लेकर अर्जुन को लगभग 45 मिनट तक ज्ञान और धर्म की रक्षा के लिए उपदेश दिए थे। जब वे उपदेश से रहे थे तब समय वहीं थम/रुक गया था। उन्हीं उपदेशों को गीता में संकलित किया गया है।
श्रीकृष्ण ने गीता में 574, अर्जुन ने 85, संजय ने 40 और धृतराष्ट्र ने 1 श्लोक कहा है।

भागवत गीता में धर्म-कर्म, जीवन उत्पत्ति, विकास, मृत्यु, उपासना, राजनीति, योग, नियम, पूर्वजन्म, मोक्ष, ईश्वर, नीति, सच, झूठ, स्वर्ग नरक, आत्मा, कुल, वंश, जाती, आध्यामिकता, प्रसन्न, दुखी, छोभ, दया, मानवता, बुराई, अच्छाई, जड़, जीव, जंतु, पशु, पक्षी, नर - नारी, किन्नर, समय, अंश, संकल्प, त्रिगुन आदि के विषय में प्रश्नों के उत्तर है।


श्रीमद्भागवत गीता से किस तरह के प्रश्नों के उत्तर मिलते है


इसमें आप यदि जीवन में कभी द्वन्द की स्थति से गुजर रहे।

व्यक्ति जब किसी भी प्रकार की समस्या के वजह से किंकर्तव्यविमूढ़ होकर हार मानने लगता है और निराश हो जाता है। जैसे अर्जुन युद्ध के दौरान हुए थे।

धर्म बड़ा है या कर्म का वर्णन

भक्ति बड़ी या ज्ञान का वर्णन

कर्मयोग, ज्ञानयोग, भक्तियोग और एकेश्वरवाद का वर्णन है।


मृत्यु के बाद आत्मा का क्या होगा का वर्णन


जब व्यक्ति की बुद्धि व्यग्र होती है तो तर्क नष्ट हो जाता है और जब तर्क नष्ट हो जाता है तो मनुष्य का विवेक नष्ट हो जाता है। 

इससे भी अधिक जानकारी मिलती है। इसके 

श्रीमद्भगवत गीता प्रति अध्याय का नाम और इसमें कितने श्लोक हैं?- Bhagwat Geeta chapters in hindi


1- श्रीमद्भगवत गीता का पहला अध्याय अर्जुन-विषाद योग है। इसमें 46 श्लोक हैं।


2- श्रीमद्भगवत गीता के दूसरे अध्याय "सांख्य-योग" में कुल 72 श्लोक हैं।


 3- श्रीमद्भगवत गीता का तीसरा अध्याय कर्मयोग है, इसमें 43 श्लोक हैं।


4- श्रीमद्भगवत गीता ज्ञान कर्म संन्यास योग गीता का चौथा अध्याय है, जिसमें 42 श्लोक हैं।


5- श्रीमद्भगवत गीता कर्म संन्यास योग गीता का पांचवां अध्याय है, जिसमें 29 श्लोक हैं।


6- श्रीमद्भगवत गीता आत्मसंयम योग गीता का छठा अध्याय है, जिसमें 47 श्लोक हैं।


7- श्रीमद्भगवत गीता ज्ञानविज्ञान योग गीता का सातवां अध्याय है, जिसमें 30 श्लोक हैं।


8- श्रीमद्भगवत  गीता का आठवां अध्याय अक्षरब्रह्मयोग है, जिसमें 28 श्लोक हैं


 9- श्रीमद्भगवत गीता राजविद्याराजगुह्य योग गीता का नवां अध्याय है, जिसमें 34 श्लोक हैं।


 10- श्रीमद्भगवत गीता के विभूति योग गीता का दसवां अध्याय है जिसमें 42 श्लोक हैं।


11- गीता के ग्यारहवें अध्याय में विश्वरूपदर्शन योग के बारे में वर्णन है जिसमें 55 श्लोक है।


12- भक्ति योग श्रीमद्भागवत गीता का बारहवां अध्याय है जिसमें 20 श्लोक हैं।


13- क्षेत्रक्षत्रज्ञविभाग योग गीता का तेरहवां अध्याय है इसमें 35 श्लोक हैं।


14- चौदहवां अध्याय गुणत्रयविभाग योग है इसमें 27 श्लोक हैं।


15- गीता का पंद्रहवां अध्याय पुरुषोत्तम योग है, इसमें 20 श्लोक हैं।


16- गीता का सोलहवां अध्याय दैवासुरसंपद्विभाग योग  है, इसमें 24 श्लोक हैं।


17- गीता का सत्रहवां अध्याय श्रद्धात्रयविभाग योग है, इसमें 28 श्लोक हैं।


18- अठारहवे अध्याय में मोक्ष सन्यासयोग का वर्णन है 

निष्कर्ष 

इस लेख में Shreemadbhagwat Geeta kya hai isme kitne adhyay ki jankari मिलती है। इसे पढ़कर व्यक्ति की चेतना जाग्रत होती है ।

FAQs

Q- गीता के अनुसार धर्म क्या है?

Ans- गीता में श्री कृष्ण कहते है कि धर्म सिर्फ एक ही और वह शाश्वत है। जिसे तुम धर्म समझकर बैठे हो वास्तव मव वह धर्म नही है इसलिए उसका परित्याग करो।

Q- श्री कृष्ण जी के शंख का क्या नाम है?

Ans- भगवान कृष्ण के शंख का नाम पाञ्चजन्य है इसका वर्णन महाभारत में मिलता है।

Q- श्री कृष्ण के गुरु कौन थे?

Ans- छान्दोग्य उपनिषद के अनुसार श्री कृष्ण जी के गुरु घोर अंगिरस थे इन्होंने कृष्ण जी को जो उपदेश दिए थे वही सारे उपदेश कृष्ण जी ने महाभारत के दूरं अर्जुन को दिए।