फाइलेरिय(हाथी पाँव ) के प्रारंभिक लक्षण, कारण, दवा और घरेलू उपचार

Filaria symtoms in hindi हाथी पाँव या फाइलेरिया एक लाइलाज रोग है . इसमें इन्सान का पैर के अलावा अन्य अंग भी प्रभावित हो सकता है इसे व्यक्ति शारीरिक के साथ मानसिक कष्ट भी होता है . लोगो में जागरूकता कि कमी के कारण इसका जोखिम अधिक रहता है .यहाँ फाइलेरिया के कारण, बचाव,  लक्षणों को काबू करने वाले दवा और उपचार के बारे जान सकते है सकते है।   

फाइलेरिय(हाथी पाँव ) के प्रारंभिक लक्षण, कारण, दवा और घरेलू  उपचार


फाइलेरिया क्या होता है? What is Filariasis ?


फाइलेरिया(Filaria) एक पैरासाइट बीमारी है जिसे संक्रमणके तौर भी देखा जाता है जो मुख्यतः उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगो को अधिक होता है . इसे  श्लीपद और हाथी पांव भी कहा जाता है क्योंकि इसमें पैर हाथी के पैरो के समान फूल जाते है . 

यहाँ पर लिम्फेटिक फाइलेरिया (Lymphatic Filariasis) के बारे में बताया गया है क्योंकि अधिकतर व्यक्तियों को इसी प्रकार का होता है और अन्य बहुत दुर्लभ होता है .


 हाथी पांव निमेटोड कीड़ों (Nematode Worms) जैसे -  वुचरेरिअ बैंक्रोफ्टी (Wuchereria Bancrofti),ब्रूगिआ मलाई (Brugia Malayi)के वजह से होता है जो कुछ विशेष प्रकार के खून चूसने वाले कीटो और मच्छरों के जरिये इंसानों में चले जाते है . यह इम्युनिटी सिस्टम को इफ़ेक्ट करता है जिस कारण दुसरे संक्रमण होने का भी खतरा हो जाता है.


फाइलेरिया के प्रकार - How many types of Filariasis ?

यह निम्न तीन प्रकार के होते है -

सबक्यूटेनियस फायलेरियासिस (Subcutaneous filariasis) : यह बहुत दुर्लभ प्रकार का फाइलेरिया  होता है जो मैनसनैला स्ट्रेप्टोसेरका, लोआ लोआ (आई वॉर्म) और ओन्कोसेरका वॉल्वुलस (Onchocerca Volvulus) पैरासाइट के कारण हो सकता है जो त्वचा की निचली परत को इफ़ेक्ट करता है


लिम्फेटिक फाइलेरिया (Lymphatic filariasis) : आमतौर पर सबसे अधिक यही वाला फाइलेरिया होता है जिसे एक पैर हाथी के जैसे सूज जाते है और यह ब्रुगिया टीमोरि (Brugia Timori), वुकेरेरिया बैन्क्रॉफ्टी (Wuchereria bancrofti) और ब्रुगिया मलाई (Brugia malayi) परजीवियों के कारण होता है जो व्यक्ति के लसीका प्रणाली (Lymphatic System) व  लिम्फ नोड्स को प्रभावित करता है .

सीरस कैविटी फाइलेरिया (Serous Cavity Filariasis) : सीरस कैविटी और सबसे ऊपर वाला बताया गया फाइलेरिया सबसे दुर्लभ है।


फाइलेरिया होने के कारण है? - What causes of filariasis (Filaria)? 


ऊपर जिन परजीवियों के नाम बताये गये है उन्ही के वजह से यह रोग होता है . जो व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाते है . 

यह दुनिया के उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय भागों में अधिक आम है, जैसे: भारत में करोडो लोग इससे प्रभावित है इसके अतिरिक्त यह अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और दक्षिण पूर्व एशिया में इसके अधिक मामले आते है . लेकिन अस्वच्छता, मच्छरों के उपायों मे कमी, इसके जोखिमो को बढ़ाते है . 

क्या फाइलेरिया गंभीर बीमारी है ? Is Filariasis (Filaria) serious in hindi?  

फाइलेरिया का आम प्रकार भी अपने आप में बहुत गंभीर है .जो भी इसके लिए उपचार किये जाते है वे बस इसके जोखिम और लक्षणों में आराम दे सकते है न की छुटकारा देते है .

सरकार का भारतीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (Indian Ministry of Health and Family Welfare) द्वारा इस रोग के लिए  जागरूकता और मुफ्त उपचार प्रदान किया जाता है।  


फाइलेरिया के क्या लक्षण होते हैं? What are the symptoms of filariasis (Filaria)?


फाइलेरिया (लिफेंटियासिस) होने पर शारीर में विभिन्न प्रकार के लक्षण दिकाई देते है -

सबसे सामान्य लक्षण यह है कि पैर में सूजन आ जाती है दूसरा पैर बहुत कम केस ने ही सूजता है .

बुखार आना 

अंडकोष में सुजन (Hydrocele )

स्तनो , हनथो और जननांगों ने भी सूजन हो सकती है .

इसके अलावा कुछ अन्य लक्षण भी दिख सकते है जैसे - पेट में दर्द, ठण्ड लगना, भूख में कमी, त्वचा में सूखापन और त्वचा का रंग पहले से गहरा भी हो सकता है .


यदि किसी महिला के स्तन(breast) में सूजन आ रही है तो कृपया docter को दिखने में देर न करे क्योंकि इससे ब्लड सप्लाई में कम होने से बैक्टीरियल इंफेक्शन होने कि आशंका होती है। 


फाइलेरिया का उपचार कैसे किया जा सकता है? How is Filariasis diagnosed?

 

इम्यूनोडायग्नोस्टिक टेस्ट (Immunodiagnostic tests) – यह जांच रक्त में एंटीबॉडी है यानि देखने के लिए की जाती है .या नहीं। 


फाइलेरिया का पता लगाने के लिए रक्त जांच – यह सूक्ष्म टेस्ट यह पता लगाने के लिए कि जाती कि पता चल सके कि व्यक्ति के रक्त में माइक्रोफिलेरिया है की नहीं.  इस जाँच के लिए ब्लड सैंपल रात में लिया जाता है क्योंकि लिम्फेटिक फाइलेरिया की वजह खून में रात में ही बढ़ता है .

कई बार सर्जरी भी कि जाती है लेकिन फिर से भी हो सकता है। 

इस बीमारी का कोई ठोस इलाज नहीं है . सिर्फ बचाव ही किया जा सकता है . सर्कार द्वारा जो भी योजनाये चलायी गयी है वे इसकी रोकथाम में सहायता कर सकती है . 

 

फाइलेरिया या एलिफेंटाइसिस की अंग्रेजी दवा क्या है? 


कुछ एंटीपैरासिटिक मेडिसिन्स इस प्रकार है, जैसे – मेक्टिज़न  Mectizan, 

डायथाइलकार्बामाज़िन (डीईसी) Diethylcarbamazine (DEC),  

एल्बेंडाज़ोल (अल्बेन्ज़ा) Albendazole (Albenza)

आइवरमेक्टिन (Ivermectin), 

डॉक्सीसायक्लिन (Doxycycline). 

फाइलेरिया की होम्योपैथिक दवा बताएं

हाइड्रोकार्बन एशियाटिक
आर्सेनिक एल्बम 
नैट्रम कार्ब 
Elaeis Guineensis 
सिलिकिया 

लेकिन यह सभी केवल डोक्टर द्वारा ही दी जाती है क्योंकि सभी कि स्थिति अलग होती है स्वयं से न ले .


फाइलेरिया से कैसे बचाव करें? How to prevent filariasis?


साफ-सफाई ध्यान रखे, अपनी एकत्र न होने दे  .


शारीरिक रूप से सक्रिय रहे .


सूजे हुए पैर को चोट लगने से बचाए, यदि अलग जाती है तो अच्छे से धो कर सुखा ले और दवा लगाये .

मछरदानी लगा कर सोय .


बहुत बार इसका इन्फेक्शन बचपन में ही आ जाते है लेकिन काम्बे टाइम तक नहीं दिखते है और बाद में जब विकलांगता आने लगती है तो रोगी मानसिक रूप से हताश हो जाता है इसलिये मनोवैज्ञानिक उपचार भी करा सकते है .


फाइलेरिया का आयुर्वेदिक उपाय - What is the remedy for filariasis in Ayurveda? 


कही पर भी इस रोग का सटीक उपचार नहीं है लेकिन आयुर्वेद में लक्षणों से थोडा राहत पाने के तरीके मौजूद दे आईये जानते है - 


आंवला से Gooseberry – फाइलेरिया रोग में आंवला का खाना फायदेमंद हो सकता है . इसमें भरपूर विटामिन सी होता है जो रोग प्रतिरोधक छमता को बनाए रखता है जिससे बीमारियों से लड़ने में आसानी हो , आंवले में एन्थेलमिंथिंक (Anthelmintic)तत्व पाया जाता है जो घाव को जल्दी कवर करने में सहायक होता है। 


काला अखरोट  black walnut oil – काला अखरोट का तेल खून के परजीवियों को खत्मकर ब्लड साफ़ करने में मददगार है . आप  एक कप गर्म पानी में काले अखरोट कि 3 से 4 बुँदे डालिए और पि लीजिये .इसे 5 से ६ हफ्ते तक उपयोग करे . 


अश्वगंधा Ashwagandha – अश्वगंधा को आयुर्वेद ने बहुत महत्वपूर्ण बूटी माना जाता है, यह आपके कमजोर प्रतीक्षा प्रनालइ  को मजबूत करता है .


लौंग द्वारा Cloves – फाइलेरिया कि समस्या से परेशान  व्यक्तियों को आहार में लौंग का उपयोग जरुर करे . लौंग के एंजाइमस परजीवीयो के प्रसार को रोकता है . 



बेल पत्र का लेप bel leaf paste – भारत में बेल के पत्तो का धार्मिक रूप में बहुत मान्यता दी गयी है लेकिन इसे आयुर्वेदिक औषधि  कि तरह भी इस्तेमाल किया जाता है . इसके पत्तो का लेप बनाकर जिस अंग में सूजन आई हो वह पर लगाने से सूजन दूर होती है .


अदरक या सोंठ Ginger –  सोंठ या अदरक का पाउडर को प्रतिदिन गुनगुने पानी के साथ सेवन कर सकते है . यह फाइलेरिया के परजीवीयो को खत्म सकने में प्रभावी हो सकत है .


फाइलेरिया रोग में क्या खाना चाहिए? What should I eat when I have filariasis?


फाइलेरिया बीमारी के दौरान डाक्टर आपको को आपकी स्थिति के अनुसार अहह्र योजना केव बारे में बताएँगे . आमतौर पर आपको उन पदार्थो का सेवन नहीं करना है जो शारीर कि सुजन को बढ़ावा देते है . यहाँ जाने वे कौन से पदार्थ हो सकते जिसे खाना चाहिए .आपको प्रोटीन और विटामिन   गाजर, अनानास, शकरकंद, लहसुन, खुबानी और मौसमी आहार ले. अधिक मसालेदार, डेरी प्रोडक्ट से दूर रहे .


निष्कर्ष 


फाइलेरिया(एलीफैंटियासिस) किसी भी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकता है। यह पुरुषों और महिलाओं दोनों में दिखाई देता है। इस लेख में  इसके लक्षण,कारण और इलाज के बारे में सामान्य जानकारी प्रदान करने का प्रयास किया गया है .यहाँ बताये गये किसीभी पुच्र को करने से पहले या अधिक सलाह के लिए डोक्टर से संपर्क करे  .