खांसी और अन्य शारीरिक समस्याओं में राहत दे सितोपलादि चूर्ण के फायदे और इसे बनाने का तरीका व नुकसान

 

सितोपलादि चूर्ण कफरोधक है।  यह पाचन संबंधी और सांस की बीमारियों की समस्याओं के लिए आयुर्वेदिक औषधि है। इसके अतिरिक्त  एलर्जी, फेफड़ो की छमता बढ़ाना और प्रतिक्षा प्रणाली को मजबूत करने के लिए भी इस चूर्ण का उपयोग किया जाता है।  


सितोपलादि एक असरदार और प्रभावी चूर्ण है जो पांच यौगिक  सामग्री जैसे - वंशलोचन, मिश्री, दालचीनी काली मिर्च और इलायची  सभी को सुखाकर पाउडर बनाया जाता है।


मिश्री में शरीर के कफ और वात को संतुलित करने की क्षमता होती है और वंशलोचन में औषधीय गुणों वाले पौधों के यौगिक होते हैं।इलायची एंटीऑक्सिडेंट युक्त है और वही में  दालचीनी और काली मिर्च सेल्स को फ्री रेडिकल से बचाने के लिए बायो-एन्हांसर्स की तरह काम करते है। 

 

सितोपलादि चूर्ण के 10 फायदे- benefits of Sitopaladi churna in hindi

१- यदि आप सितोपलादि चूर्ण को शहद के साथ लेते है तो आपकी पुरानी खांसी भी दूर हो सकती है। एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण हर प्रकार की खांसी में प्रभावी है।  

२- सितोपलादि चूर्ण आपका अस्थमा ठीक नहीं करती है लेकिन यह सांस की नलियों में होने वाली इन्फेक्शन, सूजन और बलगम के प्रोडक्शन को कम करने में मददगार जिससे डदमा के लक्षणों को कम किया जा सकता है। 

३- गले में अगर टॉन्सिल बढ़ गया है तो सितोपलादि चूर्ण इसमें प्रभावी हो सकता है।  आयुर्वेदिक औषधि एंटी-वायरल है जो टॉन्सिल बढ़ने के लिए जिम्मेदार संक्रमण को दूर करती है।

४- शरीर में खून की कमी के कारण एनीमिया हो सकता है इस चूर्ण में तांबा,  दालचीनी, भृंगराज  जैसे तत्व आयरन की कमी को पूरा कर सकते है।  

५- यदि टाइफाइड बुखार ठीक होने के बाद व्यक्ति शारीरक रूप से बहुत कमजोर हो जाता है सितोपलादि चूर्ण में डिटॉक्सिफायर की तरह भी कार्य करता है जो शरीर का विषाक्त पदार्थ निकलकर शक्ति प्रदान करता है। 

६- सीतालोपदि चूर्ण के सेवन से माइग्रेन(अधकपारी) के तेज दर्द से छुटकारा पाने में बहुत मददगार हो सकता है। लेकिन  इसके साथ ही पर्याप्त मात्रा में स्वस्थ आहार लें।  

७- यदि आपको साइनस की समस्या है तो इस चूर्ण का सेवन करना इसमें लाभदायक हो सकता है। इसके साथ ही यह आपकी इम्युनिटी बढ़ाने के काबिलहै  जिससे बार-बार बिमारियों की चपेट में नहीं आते है।

८- सितोपलादि चूर्ण आपके पाचन को स्वस्थ रखता है और मेटाबॉलिज्म(चयापचय) को बढ़ाता है जिससे पाचन से जुडी सभी समस्याओं से निपटने में असरदार हो सकता है।

 ९- तपेदिक के शुरुवाती लक्षणों से भी सीतालोपदि पाउडर राहत दे सकता है।  डॉक्टर की सलाह पर इसे टीबी की दवाओं के सतह ले सकते है।  यह थकान, भूख कम लगना जैसे परेशानियों में भी राहत देता है।  

१०- सितोपलादि चूर्ण आपके भोजन के बाद होने वाले लो ब्लड शुगर लेवल को करने में सहायक हो सकता है। 

सितोपलादि पाउडर या चूर्ण बनाने की विधि-Sitopaladi churna recipe in hindi

  •  मिश्री 140 ग्राम
  • वंश लोचन 80 ग्राम
  • पिप्पली 40 ग्राम
  • छोटी इलायची 20 ग्राम
  • दालचीनी 10 ग्राम
सबसे पहले मिश्री को मिक्सर में पीस लें।
इसके बाद वंश लोचन(तबाशीर) और पिप्पली को भी पीस लें। 
इलायची को छीलकर दानो को निकाल कर अलग कर दे और इसे दालचीनी के साथ मिलाकर पीस ले। 
अब सभी चीजों को एक बड़े बर्तन में मिलाएं और एक एयर टाइट कंटेनर में भर लें।


सीतालोपदि चूर्ण का सेवन करे -

  • सूखी और कफ वाली खांसी से राहत पाने के लिए लगभग 5 स ग्राम सितोपलादि चूर्ण को 2.5 ग्राम शहद और 5 ग्राम घी के साथ मिलाएं और सेवन करे।

 सितोपलादि चूर्ण की कितनी खुराक लें - Sitopaladi Churna Dosage in Hindi

  • बच्चों  के लिए  दो बार 500 -1000 मि.ग्रा. कि मात्रा में ही दें|
  • दिन में दो बार 2 से 4 ग्रा. यह मिश्रण ले| एक  दिन में 12 ग्रा. से अधिक न लें।
  • हलके बुखार के लिए 2 ग्रा. सितोपलादि चूर्ण के साथ 1 ग्रा. शहद, 250 मि.ग्रा. प्रवाल पिष्टी और 25 मि.ग्रा. यशद भस्म मिलाएं और सेवन करे ।
  • छोटे शिशुओ को उनकी नाभि पर लगा सकते है यदि वह नहीं खाना चाहत है। 

सितोपलादि चूर्ण कहां से खरीद सकते है ?- Where to Buy Sitopaladi Churna in hindi

यह बाजार से भी खरीद सकते है। 

ऑनलाइन खरीदने में आपको कुछ छूट के साथ में आपको डाबर सितोपलादि चूर्ण (500 ग्रा.) 550 रुपए में और झंडु सितोपलादि चूर्ण 25 ग्राम (पैक 5) 239 रुपए में मिल सकता है। 

सितोपलादि चूर्ण का भंडारण(storage) कैसे करें 

सितोपलादि को सामान्य, सूखी और ठंडी जगह पर रखे।

सितोपलादि चूर्ण सेवन के नुकसान 

जिनकी शुगर लेवल हाई है उन्हें इस चूर्ण का सेवन नहीं करना चाहिए इससे ग्लूकोज का स्तर बढ़ सकता है। 

प्रेग्नेंट महिलाओं इस चूर्ण का सेवन से पहले चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए अन्यथा तबियत बिगड़ सकती है। 

सीतालोपदि चूर्ण को अधिक खाने से सीने में जलन या एसिडिटी हो सकती है।  

इसे अधिक मात्रा में खाने से व्यक्ति का वात, पित्त और कफ दोष असंतुलित हो सकता है। 

निष्कर्ष 

इस आर्टिकल में सीतालोपदि चूर्ण के फायदे, नुकसान और इसे बनाने का सामान्य तरीका बताया गया है जो सिर्फ सामान्य जानकारी उपलब्ध कराता है। लेकिन उपयोग से पहले अपने आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श जरूर लें। 

FAQs - 

Q- सितोपलादि चूर्ण को क्या पानी के साथ ले सकते है?

ANS- सितोपलादि चूर्ण को आप सिर्फ घी और शहद के साथ ही खाये।

Q- सितोपलादि चूर्ण का सेवन क्या खाली पेट कर सकते है?

ANS- नहीं, सितोपलादि चूर्ण को खाली पेट न लें।

Q- सितोपलादि चूर्ण को कब लें, भोजन के पहले या भोजन के बाद में?

ANS- भोजन के बाद ही सितोपलादि चूर्ण को लेना चाहिए, भोजन के पहले लेने से गैस्ट्राइटिस की परेशानी हो सकती है।  

Q- गर्भावस्था में सितोपलादि क्या गर्भवावस्था में ले सकते हैं?

ANS- आप गर्भावस्था में सितोपलादि  का सेवन कर सकती हैं।लेकिनलेने से पहले आयुर्वेद चिकित्सक से परामर्श ले।

Q- क्या सितोपलादि चूर्ण नींद लाता है ?

ANS- सिमित सेवन किया जाए तो सितोपलादि चूर्ण बेहोशी या मदहोशी नहीं बनाता। लेकिन डॉक्टर की सलाह अवश्य लें। 

Q- क्या सितोपलादि चूर्ण से  बहती नाक और लगातार छींकना ठीक करता है?

ANS- हां, यह लगातार छींकने और बहती नाक को बहुत जल्दी कर सकते हैं।  नियमित उपयोग से बहुत जल्द परिणाम देने में मदद करता है।










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