त्रिफलारिष्ट क्या है इसके फायदे और सेवन का तरीका

त्रिफलारिष्ट क्या है इसके फायदे और सेवन का तरीका


त्रिफलारिष्ट क्या होता है? - what is Triphalarishta in hindi

त्रिफलारिष्ट एक आयुर्वेदिक औषधि है   इसकी मुख्य सामग्री त्रिफला होती है यह सिरप(टॉनिक) रूप में आपको मिलती है। जो उदर यानि पेट सबंधी रोगो के लिए उपयोग की जाती है। इसके अलावा यह कई और समस्याओ में लाभकारी है। इसका सेवन हल्के गर्म पानी के साथ किया जाता है।  

इसके अलावा यह खून में कमी, चक्कर आना, गुल्म रोग, भगंदर रोग और सांस से जुडी बिमारियों में लाभकारी है।   

त्रिफलारिष्ट में उपयोग की जाने वाली सामग्री(घटक)

आंवला, बहेड़ा, हरड़, पीपल, शहद, गुड़(पुरानावाला), अजवायन, चित्रक, लौह चूर्ण,  वायविडंग का चूर्ण।

इन सभी सामग्रियों को एक मिटटी के चिकने बर्तन जिसमे घी लगा हो में भर के जौ के ढेर से ढँक देते है। इसे बनाने के लिए पानी का प्रयोग नहीं बल्कि श्वेण जल डालते है और पूरे एक महीने बाद ही इसे निकाला जाता है। तब यह त्रिफलारिष्ट चूर्ण बन जाता है। 

त्रिफलारिष्ट के फायदे और उपयोगिता - Triphalarishta ke fayde in hindi

भगंदर रोग ( Fistula)में लाभकारी 

यह बीमारी व्यक्ति के गुदा के अंदर और बाहर होती है जिसमे फोड़ा(घाव) जैसा हो जाता है।  कई बार घाव के फटने में खून भी आ सकता है।  त्रिफलारिष्ट का सेवन इस रोग में लाभदायक है। 

एनीमिया (anemia) रोग में  

जब इंसान के शरीर में खून की कमी आ जाती है तो उसे एनीमिया(पांडु रोग)कहते है।  इसमें हिमोग्लोबिन का लेवल गिर जाता है।  महिलाओं में इसकी समस्या अधिक पायी जाती है जो प्रेग्रेंसी और माहवारी के दौरान अधिक होती है।  इसके अलावा पोषक तत्व और आयरन के कमी की वजह से महिलाओं के साथ पुरुषों में भी हो जाती है। त्रिफलारिष्ट आयुर्वेदिक  सिरप से  हिमोग्लोबिन का स्तर बढ़ाने में मदद मिलती है। 

पित्तोदर की समस्या को खत्म करें

त्रिफलारिष्ट पेट में बनने वाले पित्त की प्रणाली में होने वाली समस्या से राहत देती है।  पित्तोदर के कारन शरीर के पीला दिख सकता है जिसमे मूत्र का रंग अधिक पीला हो जाता है।  ीा आयुर्वेदिक औषधि के सेवन से शरीर की कमजोरी दूर होती है और पित्त बिगड़ने से परेशानी भी खत्म हो जाती है। 

कब्ज़(constipation) की समस्या में राहत 

कब्ज़ जिसे आयुर्वेद में बद्धकोष्ठ कहते है जो आज बहुत आम समस्या बन चुकी है यह सही भोजन शैली न अपनाने के वजह से अधिक होती है। . यह औषधि आपकी कब्ज की पीड़ा से छुटकरा दिला सकता है। इसके अलावा अपने खान-पान में संयम बरते है। 

 गोनोरिया रोग को समाप्त करें

यह व्यक्ति के प्रजनन मार्ग में संचारित होने वाली यौन बीमारी है।  इसे प्रमेह रोग भी कहते है यह संक्रमण स्त्री और पुरुष दोनों को हो सकता है। सही समय पर इलाज न कराने पर यह गुदा और गले तक भी बढ़ सकते है।  त्रिफलारिष्ट इस रोग में बहुत अधिक फायदेमंद होती है। यह इन्फेक्शन को समाप्त करके इस बीमारी को दूर करने में सहायता करती है।  लेकिन डॉक्टर को अवशय दिखाए। 

संग्रहणी रोग में लाभदायक

संग्रहणी रोग में दस्त आते है।  जब बीमारी गंभीर हो जाती है तो व्यक्ति को भोजन  की इच्छा में कमी होने लगती है।  शरीर में पानी की कमी के वजह से वह कमजोर होने लगता है। उसे अपने दैनिक कार्यो को करने में थकान महसूस होती है। इस प्रकार व्यक्ति में  चिडचिडापन स्वाभाविक है।   त्रिफलारिष्ट  आयुर्वेदिक औषधि का उपयोग इसमें बहुत फायदा करती है। 

गुल्म रोग (gum disease) हटाने में मदद

इस रोग का मुख्य कारण वात दोष है। शरीर में वात का स्थान नाभि के ऊपर है यही पर वायु जमा हो जाती है। यह जमाव तब होता है जब व्यक्ति भारी या तला भोजन कर लेता है, मूत्र रोकने से , बहुत सुख आहार के सेवन से आदि। त्रिफ्लारिष्ट को खाने से यह रोग खत्म हो सकता है।

कुष्ठ रोग (Leprosy) में प्रभावी

कुष्ठ रोग लेष जीवाणु के संक्रमण के वजह से होता हैं । यह शरीर में त्वचा, नेत्र आदि जगहो पर हो जाता है। इसके अलावा श्वसन तंत्र पर भी इसका प्रभाव पड़ता हैं|  वैसे यह पोषण की कमी के वजह भी हो सकता है। आयुर्वेदिक त्रिफ्लारिष्ट का उपयोग इस बीमारी में सहायता कर सकता है।

पीड़ादायक हिचकी(Hiccup) में राहत 

यदि आपको बार हिचकी आती हैं या हिचकी आने पर पीड़ा होती हैं तो आपको त्रिफलारिष्ट औषधि बार-बार हिचकी आने की समस्या से राहत दिला सकती है। बहुत लोगो पीड़ा देने वाली हिचकियाँ आती है जिससे छाती, पेट और पीठ में दर्द होने लगता है।

एंटीएजिंग के लिये

त्रिफला के गुण आपके समय से पहले दिखने वाली उम्र के असर को कम करता है। जिससे आप अपनी आयु से कम के दिखते है।

त्वचा कांतिवान बनाये

इस औषधि में पाए जाने वाले कुछ तत्व आपकी स्किन को कांतिवान बनाते है। त्रिफला आपके ब्लड को प्यूरीफाई करता है जिससे पिम्पल निकलने की समस्या खत्म होती है और चेहरा ग्लो करता है।

कफ (cough) बीमारी में असरदार

जब शरीर में कास(कफ) बढ़ जाता है तो यह रोग होता है। इससे आपके गले, फेफड़े, नक् और सांसो में तकलीफ होती है। त्रिफ्लारिष्ट से कफ छंटने में प्रभावी होता है।

हलीमक(भोजन में अरुचि) की समस्या को हटायें

हलीमक के दौरान इंसान को भोजन मन से नही करता है। जिससे शरीर में पीलापन आ जाता है। यह पित्त और वात के वजह से हो सकता है। त्रिफ्लारिष्ट की सही खुराक लेने से यह परेशानी ठीक हो सकती है।

निष्कर्ष 

इस आर्टिकल में त्रिफ्लारिष्ट के फायदे और उपयोग सिर्फ जानकारी के लिए बताये गये है,  उपयोग से पहले अपने चिकित्सक की सलाह जरुर ले|

FAQs

Q- त्रिफ्लारिष्ट कब खाना चाहिए?

Ans- सुबह और शाम भोजन के बाद।


Q- इस औषधि को गुनगुने पानी के साथ खाएं।

Ans-इस औषधि को नमी से दूर रखे|


Q- त्रिफ्लारिष्ट का सेवन किसके साथ करे?

Ans- गुनगुने पानी के साथ इसका सेवन करे। 


Q- त्रिफ्लारिष्ट बच्चो को कितनी मात्रा में देना चाहिए ?

Ans- यह औषधि बच्चों को 5 से 10 ml देनी चाहिए


Q- त्रिफ्लारिष्ट वयस्कों को कितनी ऍम अल देनी चाहिए?

Ans- व्यस्को को 10 से 25 ml लेना चाहिए।


Q-त्रिफ्लारिष्ट को कैसे स्टोर करे?

Ans-नमी से दूर ही रखे। 


Q- त्रिफलारिष्ट औषधि की उपलब्धता (Triphalarishta ki uplabdhta)

Ans-भारद्वाज त्रिफलारिष्ट,MORBINO TRIPHALARISHTA