Herpes disease symtoms and diet in hindi - यह एक वायरस जनित संक्रमित रोग है जो हर तीन में से दो लोगों को प्रभावित करता है उनको जिनकी आयु 40-50 या इससे अधिक होती है। सही इलाज होने पर 15 से 20 दिन में ठीक होने लगता है। अनयथा यह जानलेवा भी हो सकता है। आईये जानते है हर्पीस क्या है इसका उपचार और डाइट /परहेज
हर्पीस(Harpies) जोस्टर क्या होता है
हर्पीस(Herpes) बीमारी के लक्षण
- इन्फेक्शन के कारण बुखार हो सकता है।
- रोगी को त्वचा में खुजली और जलन होती है।
- संक्रमण के कारण लसिका ग्रन्थि में सूजन आ जाती है।
- चेहरे पर पानी से युक्त लाल दाने होते हैं।
- जोड़ों में दर्द(joint pain) होना।
- बालों झड़ना,
- षड्रस में से किसी भी रस का स्वाद ना आना।
- आँखों में कमजोरी आना
- सुनाई कम देना।
हर्पीस(Herpes) का जोखिम(risk) किसे अधिक होता है ?
- जिनकी एच आई वी/ एड्स, कैंसर और कीमोथेरेपी से प्रतिरोधक छमता कमजोर हो जाती है जिससे इस बीमारी का खतरा रहता है।
- मानसिक तनाव भी इसके होने का कारण हो सकता है।
- इसके अलावा जो लोग लंबे समय तक स्टेरॉयड्स जैसी दवाइयों का सेवन करते हैं, उनमेंभी हर्पीस जोस्टर होने का खतरा होता है।
- हर्पीस बीमारी के इलाज के लिए व्यक्ति को एंटी वायरस मेडिसिन एसाइक्लोविर दवा दी जाती है ताकि उसके शरीर में उपस्थित वायरस(virus) नष्ट हो जाए।
- इस बीमारी को अनदेखा न करे अन्यथा सर्पेटिक न्यूराल्जिया जैसी गंभीर समस्या हो सकती है।
हर्पीस(Herpes) से बचाव कैसे करें
- यह लिप्स्टिक, चुम्बन, एक ही बर्तन में खाने से, टूथब्रश आदि से फैलता है जिससे हर्पीज के फफोले संपर्क में आते है।
- वही जैनाइटल हर्पीज़ पुरुष से स्त्री में हो सकता है। इसके अलावा यह महिला में पहले से हो सकता है।
- माँ से बच्चे को भी यह वायरस प्राप्त हो सकता है।
- लैंगिक सुरक्षा के उपाए अपनाये
- सार्वजनिक स्नान बचे जैसे स्विमिंग पूल।
- घाव को बार-बार धोये नहीं।
- हाइजीन बनाये रखे।
हर्पीस में क्या खाना चाहिए - what to eat in Herpes disease in hindi
- विटामिन सी को अपने आहार में शामिल करें जिससे इम्युनिटी बढे और शरीर रोगो से लड़ सके। इसके लिए संतरा, नींबू, मौसमी, आंवला, टमाटर और हरी पत्तेदार सब्जियां का सेवन करे।
- अंकुरित आहार ग्रहण करे।
- अधिक से अधिक तरल पदार्थ लें।
- हर्पीस पीड़ित को प्रोटीनयुक्त आहार खाना चाहिए इससे समस्या में जल्द आराम मिल सकता है।। यह पोषण प्रदान करता है, नई कोशिकाओं के निर्माण में मदद मिलती है और बॉडी टॉक्सिन्स बाहर निकलते है। इसके लिए आपको दूध, दही, अंडा, दाल.सोयाबीन, बीन्स और नट्स खा सकते हैं।
- आपको पालक, टमाटर, बीन्स,पत्तागोभी, ब्रोकली और फलों का सेवन करना चाहिए। इनमे एंटीऑक्सीडेंट होते है जो फ्री रेडिकल्स से सेल्स को बचाते है।
- अलसी का तेल, जैतून का तेल, सूरजमुखी के बीज और तेल आदि प्रयोग करे । इनमें मूफा, पूफा, ओमेगा 3 एवं 6 मिलते हैं, जो प्रतिरक्षा को मजबूत बनाते हैं और जिससे हर्पीस पुन: संक्रमण पर नियंत्रण हो जाता है।
- लौंग, सोंठ, अदरक, लहसुन, हल्दी और काली मिर्च का सेवन करना चाहिए। इसने एंटीबैक्टीरियल और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। इससे हर्पीस के लक्षणों को कम करने में मदद मिलती है।
- मुलेठी की जड़ का चूर्ण लगा सकते है।
- घाव वाली जगह पर जैतून का तेल लगा सकते है।
- पानी में फिटकरी डालकर नहाये।
कपडे में बर्फ रख कर प्रभावित जगह पर लगाए।
- हर्पीस से ठीक होने के लिए आपको टी ट्री आयल लगाना चाहिए
हर्पीस घरेलू/आयुर्वेदिक इलाज - ayurvedic/home remedies for Herpes in hindi
हर्पीस को आयुर्वेद में विसर्प कहा जाता है। इसके इलाज के लिए मुलेठी(यष्टिमधु), गुग्गुल, एलोवेरा,अर्जुन, हरीतिकी आदि का प्रयोग किया जाता है।
आयुर्वेद में विसर्प या हर्पीस को निम्न प्रकार से वर्गीकृत किया गया है। वात, पित्त, कफ, त्रिदोष, अग्नि विसर्प, कर्दम विसर्प और ग्रंथि विसर्प। इन सभी के कारण होने वाले हर्पीस के लक्षण अलग हो सकते है।
इनके इलाज के लिए नीचे बताई गयी विधिया अपनायी जाती है।
लंघन प्रक्रिया (व्रत करवाना)
इसके अंतर्गत दो प्रकार से इलाज किया जाता है पहला रोगी को भूख लगने तक भूखा रखा जाता है। फिर उसे आसानी से पच जाने वाला हल्का भोजन दिया जाता है। दूसरा तरीके में असंतुलित दोषो का उपचार किया जाता है। इसमें व्यक्ति की प्रतिरोधक छमता उत्तेजित होती है और शरीर हल्का होता है।
रक्तमोक्षण(खून साफ़ कराना)
इस प्रक्रिया में शरीर से टॉक्सिक्स(विषाक्त) पदार्थो को बाहर निकला जाता है। क्योंकि अधिकतर त्वचा रोग पित्त के असंतुलन की वजह से होते है।
विरेचन (पेट साफ़ कराना)
इसमें कई जड़ी-बूटियों के माध्यम से पेट को साफ किया जाता है। इस दौरान एलोवेरा, सेन्ना और रूबर्ब जैसी सामान्य तरीको का इस्तेमाल करके इलाज होता है। इससे रक्त साफ होता है पित्त के अलावा यह प्रक्रिया कफ और वात पर भी असर करती है।
लेप द्वारा (प्रभावित स्थान पर लगाना)
ऐसे विभिन्न प्रकार की जड़ी-बूटियों को मिलाकर लेप बनाया जाता है फिर उसे समस्या वाली स्थान पर लगाया जाता है। इसे बनाने के लिए व्यक्ति में प्रमुख दोष के अनुसार जड़ी-बूटी का प्रयोग किया जाता है। इसमें इन बूटियों इस्तेमला किया जा सकता है - जंगली चैरी, खस, शत पुष्प का फल, लाल चन्दन, सहचर, मंजिष्ठा, नीले कमल, वंशा, कुश्ता की जड़ आदि को एलोवेरा और पानी में मिलाकर बनाया जाता है।
हर्पीस रोग न खाये/परहेज - what to avoid in Herpes disease in hindi
- संतृप्त(saturated fat) या अस्वस्थ वसा खाना कम करे। यह पैकेट और मक्खन और मलाई, डिब्बाबंद भोज्य पदार्थो में अधिक पायी जाती है। इस फैट से प्रतिरक्षा तंत्र को कमजोर होती है जो हर्पीस इंफेक्शन को बढ़ावा देती है।
- मीठे पदार्थ न खाये इससे इस बीमारी के घाव को ठीक होने में अधिक समय लग सकता है।
- शराब न पिए यह सफेद रक्त कोशिकाओं को कम करते है यह सेल्स रोगो से लड़ने का कार्य करती है। इनके कम होने व्यक्ति की प्रतिरोधक छमता कम हो जाती है।
- मूंगफली, बादाम और अधिक चॉकलेट खाने से बचे।
- प्रोसेस्ड फूड से दूरी रखे इनमे पोषक तत्व नहीं होते है। इंस्टेंट नूडल, अधपका खाना, रेडी फूड, चिप्स आदि से परहेज करे।