3 months pregnancy in hindi के लक्षण, शारीरिक विकास और आहार

3 months pregnancy in hindi के लक्षण, शारीरिक विकास और आहार


3 months pregnancy in hindi में कई तरह के शारीरिक परिवर्तन होते है।  यह गर्भावस्था का बहुत अलग और अहम समय होता है क्योंकि इस दौरान नए अनुभव होते है।  आईये जानते है गर्भधारण के तीसरे माह में माता और शिशु में क्या विकास एवं परविर्तन होते है, इसके अलावा डाइट कैसी होनी चाहिए - 

 तीसरे महीने के गर्भ में माँ और शिशु  का शरीर कई बदलावों से गुजरता है / इस दौरान शिशु लगभग 3.5 इंच लंबा होता है और वजन करीब 1.5 औंस होता है। 

तीन महीने की प्रेगनेंसी में महिला के शरीर में क्या बदलाव होते है - female body changes during 3 month of pregnancy in hindi


1- गर्भावस्था के शुरुवाती तीन महीने  महिला को भूख में कमी, थकान, चिड़चिड़ाहट, मॉर्निंग सिकनेस, उल्टी महूसस  है।  लेकिन तीसरे माह के मध्य चरण में आते-आते यह समस्या कम होने लगती है।


2- थर्ड मंथ की प्रेगनेंसी में मूत्राशय में दबाव के कारण आपका पेशाब और शौंच जाना बढ़ जाता है इसके साथ ही पेशाब अधिक न आये, इसलिए कैफीन युक्त पदार्थ कम खाये। 


3- हार्मोन्स में बढ़लाव के कारण में स्त्री के स्तनों में सूजन आने लगती है और आंका आकार बढ़ने लगता है। जानिए आईवीएफ और टेस्ट ट्यूब बेबी में अंतर


4- पेट का आकार बढ़ने के वजह से पेट में निशान पड़ने लगते है जिसे स्ट्रेच मार्क कहते है। इसके लिए डॉक्टर के परामर्श पर कोई क्रीम लें।    


5-  इस महीने छाती में जलन हो सकती है क्योंकि शिशु बड़ा हो रहा होता है और पेट की अधिक जगह लेने लगता है।  ऐसे में एसिडिटी, खट्टी डकार की समस्या होने लगती है।  इसलिए खाना खाकर थोड़ी देर टहले तुरंत लेटने से बचे। 


6- 3 months pregnancy में शरीर का वजन बढ़ने लगता है और इसका असर कमर पर पड़ता है जिससे कमर में दर्द  होता है।  अपने डॉक्टर से सलाह लेकर हल्की कसरत कर सकते है।  अधिक देर न कड़ी रहे, बैठने के दौरान सहारा लेकर ही उठे। 


7- तीसरे महीने की प्रेगनेंसी में भावात्मक मनोदशा में बदलाव होता है।  अचानक से खुश हो सकती है और निराश भी, यह हार्मोन्स में चेंजस की वजह से होता है। 


8- तीसरे महीने की गर्भावस्था में कई बार रात को पैरों में दर्द और ऐंठन हो सकती है। इसके लिए आपको आहार में लौह तत्व और पोटेशियम शामिल करना चाहिए।  हल्के व्यायाम भी पीड़ा को कम करने में मदद कर सकते हैं। 

9- शरीर में एस्ट्रोजन का निर्माण अधिक होता है।  गर्भाशय ग्रीवा फैलती है और श्वेत रंग का पदार्थ निकलता है जो ग्रीवा दीवार को संक्रमण से बचाता है। 

10- निपल्लस का रंग गहरा हो जाता है यह उत्तेजक हॉर्मोन( मेलानोसाइट) के कारण होता है जो प्लेसेंटा द्वारा उत्पन्न हुए होते है। ऐसे में पेट से जांघ तक एक रेखा जैसी बन जाती है। 

तीसरे माह में शिशु का विकास 

  • बच्चे के उंगलियों के निशान बनने लगते है। सिर शरीर से बड़ा होता है और शरीर पर नसे दिखाई देती है। 
  • जबड़ा, ऊपरी होठ बनने लगते है।  जीभ भी विकसित होने लगती है। उसे हिचकी भी आती है। 
  • बच्चा अपना अंगूठा चूसने लगता है।   ह्रदय पूर्ण विकसित होता है वह भी धड़कन के साथ।  इसे डॉक्टर द्वारा इलेक्ट्रिक उपकरण से सुनाया जाता है। 
  • शिशु अंगड़ाई लेना और पलटी मरना शुरू करता है लेकिन इसे तीसरे महीने में महसूस नहीं कर सकती है। 
  • अग्नाशय अपना कार्य करना शुरू कर देता है। 
  • बालों  का निर्माण  होना शुरू होने लगता है। 
  • किडनी मूत्र को निकलने लगते है। 
  • आंते फैलना शुरू हो जाती है। 
  • वाइट ब्लड सेल्स बनना शुरू हो जाती है। 
  • पलके बन जाती है और आंखे ढकी रहती है। 
  • मांसपेशियों का निर्माण होने लगता है। 


3 महीने की प्रेगनेंसी की डाइट - third month pregnancy diet in hindi

इस माह की प्रेगनेंसी में शारीरिक परिवर्तनों होने के कारण अत्यधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है ऐसे में कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ ऊर्जा व शक्ति का मुख्य स्रोत होते हैं। 

  • साबुत अनाज खाये जैसे भूरे चावल, कॉर्नफ़्लेक्स, रोटी। 
  • विटामिन बी6  ले यह मॉर्निंग सिकनेस कम करती है। 
  • प्रोटीन के लिए - अंडा, दही, दूध, टोफू, मछली। 
  • विटामिन सी - टमाटर, नीबू, संतरा, ब्रोक्कोली।  
  • तरल पदार्थ - छांछ, सूप, नारियल पानी।
  • अंडा, अवाकाडो, मेवे और सोयाबीन खाये। 
  • प्रेगनेंसी  फोलिक एसिड महत्वपूर्ण है इसलिए शतावरी, दालें, हरी सब्जियां  भोजन में शामिल करे। 
  • ओमेगा -3 फैटी एसिड जैसे - अलसी के बीज (फ्लैक्स सीड्स) अखरोट, चिया सीड्स। 
  • गाजर, सलाद, पत्तागोभी, पालक, कद्दू, शकरकंद, सहजन की फलियां सब्जियाँ खाये। 
  • विटामिन डी और कैल्शियम के लिए दूध, टूना मछली, मैक्रेल का सेवन करे। 

3 महीने प्रेगनेंसी में क्या न करें

  • अधिक तेल और मसालेदार भोजन से न खाये।  यह अपच का कारण बन सकता है। भारी वस्तुओं को उठाने और परिश्रम वाली गतिविधियों को करने से बचें जो गर्भ पर दबाव डाल सकती हैं।
  • गर्भ पर दबाव डालने वाला कोई भारी कार्य न करें।  
  • फ्लैट आरामदायक स्लीपर या पहने, ऊँची नहीं। 
  • टाइट कपडे न पहने, आराम देने वाले वस्त्र पहने। 
  • नशे का सेवन न करे यह शिशु के विकास पर प्रभाव डालता है। 


3 महीने प्रेगनेंसी में क्या करें

  • डॉक्टरी सलाह पर छोटे योग और हल्के धीरे वाले एरोबिक्स कर सकती है। 
  • मॉर्निंग सिकनेस को कम करने के लिए सुबह की सैर करें।

तीसरे महीने की गर्भावस्था  वाली जांचे (test) 


स्क्रीनिंग टेस्ट आनुवंशिक दोष और भ्रूण सुरक्षा पता लगाने के लिए। 
रक्त परीक्षण एनीमिया की जांच और आर.एच. कारक का पता लगाने के लिए हो सकती है। 

 मूत्र परीक्षण  प्रोटीन के और शर्करा लेवल  को जानने के लिए। 
 द्रव प्रतिधारण परीक्षण हाथों और पैरों में सूजन की जांच के लिए। 

 कोरियोनिक विलस सैम्पलिंग (सी.वी.एस.) यह टेस्ट से शिशु में किसी प्रकार के जन्मजात दोष का पता लगाता है। 

 मातृ रक्त जाँच  एडवर्ड सिंड्रोम,  डाउन सिंड्रोम और न्यूरल ट्यूब दोष का पता लगाती है जिससे बच्चे  देने में परेशानी न हो। 

निष्कर्ष 

इस आर्टिकल में third month of pregnancy in hindi की सामान्य जानकारी दी गयी है।  यहाँ बताई गए कोई भी लक्षण, डाइट और जाँच के सबंध में डॉक्टर से परामर्श करे।