Swami Vivekananda motivational short stories in hindi इस आर्टिकल में स्वामी विवेकानंद जी के जीवन की छोटी घटनाओ की कहानी, जो है तो छोटी लेकिन व्यक्ति के व्यक्तित्व को निखारती है -
first - ध्यान लगाओ motivational story in hindi
एक समय की बात है जब स्वामी विवेकानंद अमेरिका में थे, कुछ लड़के पुल पर खड़े थे और पानी में तैर रहे अंडे के छिलकों को मारने की कोशिश कर रहे थे। वे लगभग हर कोशिश में विफल(fail) रहे, विवेकानंद जो उन्हें दूर से देख रहे थे, उनके करीब गए, बंदूक ली और बारह बार फायर किया, और हर बार जब उन्होंने फायरिंग की, तो उन्होंने अंडे का छिलका मारा।
जिज्ञासु लड़कों ने उससे पूछा कि उसने यह कैसे किया? उन्होंने जवाब दिया "आप जो कुछ भी कर रहे हैं, उस पर अपना पूरा दिमाग लगाएं। अगर आप शूटिंग कर रहे हैं, तो आपका दिमाग केवल निशाने पर होना चाहिए। फिर आप कभी नहीं चूकेंगे। यदि आप अपने सबक सीख रहे हैं, तो केवल पाठ के बारे में सोचें। मेरे में देश के लड़कों को ऐसा करना सिखाया जाता है।
Second - दयावान होना motivational story in hindi
एक बार स्वामी विवेकानंद जी ने शिकागो में विश्व धर्म की संसद में भारत और हिंदू धर्म का प्रतिनिधित्व किया, और विदेश जाने से पहले, उनकी मां ने उनका परीक्षण(टेस्ट) किया कि क्या उन्हें हिंदू धर्म का प्रचार करने का अधिकार है।
स्वादिष्ट खाने के बाद दोनों कुछ फल खाने बैठ गए। स्वामी ने फल को काटा, खाया और उसके बाद उनकी माँ ने विवेकानंद जी से चाकू माँगा; उन्होंने अपनी माँ को चाकू सौंप दिया और वह बहुत प्रसन्न हुई। उनकी मां ने कहा, 'तुमने परीक्षा पास कर ली है और अब आप दुनिया को प्रचार करने के योग्य हैं,' विवेकानंद जी को कुछ समझ ना आया कि वह किस परीक्षा की बात कर रही है। स्वामी ने उससे सवाल किया कि वह किस बारे में बात कर रही थी?
उनकी माँ ने उत्तर दिया, "बेटा, जब मैंने चाकू मांगा, तो देखा कि तुमने मुझे कैसे दिया, तुमने चाकू की धार पकड़कर दी और चाकू का लकड़ी का हैंडल मेरी ओर रखा, ताकि जब मुझे चोट न लगे। इसका मतलब है कि तुमने मेरा ख्याल रखा। और यह तुम्हारी परीक्षा थी जिसमें तुम उत्तीर्ण हुए।"
Third - दूसरो के पीछे मत भागो motivational story in hindi
एक बार स्वामी जी के आश्रम में एक व्यक्ति आया जो बहुत दुखी और उदास लग रहा था। स्वामी जी के आते है वह उनके पैरों में गिर पड़ा और कहने लगा महाराज मै अपने जीवन से बहुत दुखी हूं, मै रोज मेहनत करता हूं और समर्पित होकर कार्य करता हूं फिर भी मुझे सफलता नहीं मिल रही। मुझे भगवान ने ऐसी किस्मत क्यों दी, जिसमें मै इतना कठिन परिश्रम करके भी सफल नहीं हो सकता।
स्वामी जी उसकी समस्या तुरंत समझ गए। स्वामी जी ने कुछ दिन पहले ही एक कुत्ता पाला था।
स्वामी जी ने उस व्यक्ति से कहा कि मेरे कुत्ते को कुछ दूरी पर टहला कर लाओ, फिर मै तुम्हारे प्रश्न का उत्तर देता हूं
उस आदमी ने बड़े आश्चर्य से स्वामी जी की ओर देखा और फिर कुत्ते को टहलाने निकला।
लंबी सैर के बाद जब वह व्यक्ति स्वामीजी के पास लौटा तो स्वामीजी ने देखा कि उस व्यक्ति का चेहरा अभी भी चमक रहा था जबकि कुत्ता हांफ रहा था और बहुत थका हुआ महसूस कर रहा था। स्वामी जी ने उस व्यक्ति से कहा - यह कुत्ता कितना थक गया है पर आप अभी भी साफ दिख रहे हैं, तो उस व्यक्ति ने कहा कि मैं सीधे अपने रास्ते पर चल रहा था, फिर यह कुत्ता किसी दूसरे कुत्ते को देख कर उसके पीछे दौड़ने और फिर वह लड़कर मेरे पास वापस आ गया।
स्वामी जी ने कहा - तुम दोनों एक ही रास्ते पर जा रहे थे लेकिन कुत्ता आगे भागता हुआ जा रहा था जिस वजह से यह थक गया।
स्वामी जी ने व्यक्ति से कहा यही तुम्हारे सवाल का जवाब है तुम्हारी मंजिल तुम्हारे ही आस पास लेकिन तुम उसे देखने की बजाए दूसरो के पीछे भाग रहे और इससे तुम्हारी मंजिल तुमसे दूर हो रही है।
असली जिंदगी में भी लोग यही करते है अपने टैलेंट को देखने के बजाय दूसरे को देखते है कि वह कितना सफल है उसका टैलेंट अच्छा है मेरा नहीं। जैसे ईश्वर ने उसे प्रतिभा दी है वैसे आपको भी कुछ ना कुछ टैलेंट दिया है उस पर ध्यान देने से सफलता मिलती है।
निष्कर्ष
किसी कार्य में ध्यान लगाना, दूसरों की अच्छी देखभाल करने में सक्षम होना, दयावान और स्वयं की प्रतिभा निखारना एक उल्लेखनीय गुण है, यह प्रकृति का नियम है कि आप जितने निस्वार्थ होंगे उतना ही आपको मिलेगा; और स्वामी विवेकानंद ने भी वही किया।
Fourth - परिस्थति का सामना करो motivational story in hindi
एक बार की बात है कि स्वामी विवेकानंद जी को बंदरों का सामना करना पड़ा। वह कई बार इस अतीत के वाक्ये को बहुत मजे से सुनाया करते थे।
उन्होंने इस अनुभव का फायदा उठाने की बात भी कही। कहानी कुछ इस प्रकार थी की स्वामी जी उन दिनों काशी में थे और एक दिन किसी संकरी गली से गुजर रहे थे। तभी उनके सामने कुछ बंदरों का झुंड आया। उनसे बचाव के लिए स्वामी जी पीछे की ओर दौड़ने लगे।
लेकिन वे स्वयं को उन बंदरो के हमले से नही बचा पाये। बंदरों ने उनके कपड़े फाड़ दिए और शरीर पर कई छोटी खरोंचें भी आईं।
शोर सुनकर पास ही की कुटिया के एक साधु ने उससे कहा - "स्वामीजी! रुकिए भागिए मत। बल्कि लाठी लेकर उनकी ओर चलो। "
स्वामी जी के रुक गए और उनका पीछा करते हुए चिल्लाने लगे। बंदर भी डर के भाग गए। फिर स्वामी जी बड़े आराम से सड़क पार कर गए।
पलायन की बजाये स्थिति का सामना करो।
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