एक्यूट माइलॉयड ल्यूकेमिया ब्लड कैंसर का प्रकार है। यह बोन मैरो (हड्डी के अंदर जहां खून बनता है) में होने वाला एक कैंसर है। एक्यूट का अर्थ है तीव्र यानि यह शरीर में जल्दी फैलता है। यह बच्चो में कम और बुजुर्गो में अधिक होता है। इस आर्टिकल में जानिए तीव्र acute myeloid leukemia in hindi के लक्षण, कारण और इलाज
एक्यूट माइलॉयड ल्यूकेमिया - Acute Myeloid Leukemia in hindi
एक्यूट(तीव्र) माइलॉयड ल्यूकेमिया(AML) अस्थि मज्जा(bone marrow) में तीव्र अपरिपक्व, अविकसित सफ़ेद रक्त कोशिकाये बनने लगती है। यह खून में जल्दी प्रवाहित हो जाती है जो लिम्फ नोड्स, यकृत, प्लीहा, केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी), और अंडकोष सहित शरीर के अन्य भागों में फैल सकता है।
सही समय पर इलाज न होने से यह जोखिम भरा हो जाता है। यह 60-65 उम्र में ज्यादा होता है। इसे एक्यूट नॉन-लिम्फोसाइटिक ल्यूकेमिया के रूप में भी जान सकते है।
तीव्र माइलॉयड ल्यूकेमिया (एएमएल) के कई अन्य नाम हैं, जिनमें तीव्र मायलोसाइटिक ल्यूकेमिया, तीव्र मायलोजेनस ल्यूकेमिया, तीव्र ग्रैनुलोसाइटिक ल्यूकेमिया और तीव्र गैर-लिम्फोसाइटिक ल्यूकेमिया शामिल हैं।
एक्यूट माइलॉयड ल्यूकेमिया के लक्षण - acute myeloid leukemia symtoms in hindi
कमज़ोरी।
बुखार।
संक्रमण।
लिवर में सूजन
मसूड़े फूलना
पीलापन या सामान्य त्वचा के रंग का नुकसान।
खून बह रहा है।
थकान
बुखार
भूख न लगना या वजन कम होना
रात को पसीना
आपकी त्वचा के ठीक नीचे छोटे लाल धब्बे (पेटीचिया)
पेट दर्द
एक्यूट माइलॉयड ल्यूकेमिया कारण - acute myeloid leukemia in hindi
अधिक उम्र।
धूम्रपान।
अतीत में कीमोथेरेपी या विकिरण चिकित्सा के साथ इलाज कर चुके हैं।
पर्यावरण में विकिरण (जैसे परमाणु विकिरण) या रासायनिक बेंजीन के संपर्क में आना।
रक्त विकार का व्यक्तिगत इतिहास होना जैसे कि माइलोडिसप्लास्टिक सिंड्रोम।
कुछ सिंड्रोम या विरासत में मिले विकार होना।
ट्यूमर बायोप्सी: ल्यूकेमिया कोशिकाओं से बने ट्यूमर की बायोप्सी, जिसे मायलोइड सार्कोमा (क्लोरोमा) भी कहा जाता है, किया जा सकता है।
एक्यूट माइलॉयड ल्यूकेमिया टेस्ट - acute myeloid leukemia tests in hindi
पूर्ण रक्त गणना (सीबीसी):
एक प्रक्रिया जिसमें रक्त का एक नमूना लिया जाता है और निम्नलिखित के लिए जाँच की जाती है:
1- लाल रक्त कोशिकाओं, सफेद रक्त कोशिकाओं और प्लेटलेट्स की संख्या।
2- लाल रक्त कोशिकाओं में हीमोग्लोबिन (ऑक्सीजन ले जाने वाला प्रोटीन) की मात्रा।
अस्थि मज्जा परीक्षण
डॉक्टर आपकी छाती या कूल्हे की हड्डी में सुई लगाएगा और अस्थि मज्जा का एक नमूना निकालेगा। ल्यूकेमिया के लक्षणों के लिए एक विशेषज्ञ इसे माइक्रोस्कोप के नीचे देखेगा।
इमेजिंग परीक्षण
एक्स-रे, सीटी स्कैन या अल्ट्रासाउंड आपके डॉक्टर को बता सकते हैं कि कैंसर फैल गया है या नहीं।
बोन मेरो इन्सिपिरेशन और बायोप्सी:
हिपबोन या ब्रेस्टबोन में एक खोखली सुई डालकर अस्थि मज्जा, रक्त और हड्डी का एक छोटा सा टुकड़ा निकालना। एक रोगविज्ञानी कैंसर के लक्षणों को देखने के लिए एक माइक्रोस्कोप के तहत अस्थि मज्जा, रक्त और हड्डी को देखता है।
पेरिफेरल ब्लड स्मीयर:
एक प्रक्रिया जिसमें ब्लास्ट सेल्स, श्वेत रक्त कोशिकाओं की संख्या और प्रकार, प्लेटलेट्स की संख्या और रक्त कोशिकाओं के आकार में परिवर्तन के लिए रक्त के नमूने की जाँच की जाती है।
इम्यूनोहिस्टोकेमिस्ट्री
टिस्यूज की जाँच के लिए इसके एंटीबाडी और प्रोटीन को रंगा जाता है और फिर माइक्रोस्कोप में देखा जाता है।
फ़्लो साइटोमेट्री
सेल्स को सेंसिटिव डाई से कलर किया जाता है और फिर उन्हें एक तरल में डाला जाता है और तेज लेजर लाइट में प्रवाहित किया जाता है इससे सेल्स के रंग, रूप, आकार, उनके जीवित सेल्स की संख्या आदि को परखा जाता है।
एक्यूट माइलॉयड ल्यूकेमिया इलाज - acute myeloid leukemia treatment in hindi
1- रेमिशन इंडक्शन और कंसोलिडेशन थेरेपी -
इस थेरेपी द्वारा ल्यूकेमिया कोशिकाओं को नष्ट किया जाता है।
2- कीमोथेरेपी (Chemotherapy) -
इसमें कैंसर सेल्स को रोकने के लिए दवाइयों के शॉट्स दिए जाते है।
3- रेडिएशन (Radiation) -
इसके जरिये हाय-एनर्जी एक्स-रेज कैंसर सेल्स को बढ़ने से रोका जाता है।
4- स्टेम सेल ट्रांसप्लांट (Stem Cell Transplant) -
इसमें कुछ स्टेम सेल्स को रोगी में ट्रांसप्लांट किया जाता है। जिससे वे व्यक्ति के शरीर में ग्रो हो सके।
5- टार्गेटेड थेरेपी (Targeted therapy) -
इसमें उन प्रोटीन्स और जीन को रोकने का प्रयास किया जाता है जो कैंसर करक सेल्स को बढ़ने में मदद करती है।
एक्यूट माइलॉयड ल्यूकेमिया बचाव - acute myeloid leukemia prevention in hindi
हेल्दी लाइफस्टाइल जिए
हेल्दी खाये
स्मोकिंग न करें
रेडिएशन वाली जगहों से दूर रहे
केमिकल वाली चीज़ो से दूर रहे
तनाव न लें।
अच्छी नींद लें
निष्कर्ष
इस लेख में के बारे में सामान्य जानकारी दी गयी है लेकिन यह उपचार के बाद भी दोबारा हो सकता है। इलाज अच्छे डॉक्टर से ही कराये।