आयुर्वेद करता है भ्रम की स्थिति (सिजोफ्रेनिया) के लक्षणों में कमी जानिए कैसे

आयुर्वेद करता है भ्रम की स्थिति (सिजोफ्रेनिया) के लक्षणों में कमी जानिए कैसे


schizophrenia ayurvedic treatment in hindi एक मानसिक बीमारी होती है। इस रोग में व्यक्ति को भ्रम होता है उसे अपने विचार वास्तविक लगते है। रोगी हताश होने लगता है  दुनिया भर में करीब 20 करोड़ से अधिक लोग इससे पीड़ित है। इसका कोई इलाज नहीं है लेकिन कई आयुर्वेदिक उपचार से इसके लक्षणों में कमी कर सकते है। 


सिजोफ्रेनिया (मनोविदलता) क्या होता है - what is schizophrenia in hindi

इस मनोरोग में इंसान कल्पना की दुनिया में रहते हैं। यह अधिकतर बचपन या युवास्था में होता है। उन्हे किसी के साये के होने का भ्रम रहता है।  सामाजिक परेशनियों का सामना करना पड़ता है। जागरुकता में कमी  कारण सही से उपचार नहीं हो पाता है।   


व्यक्ति को दौरे पड़ते हैं। क्या बीमार का कोई इलाज नहीं है लेकिन थेरेपी के जरिया है रोग में सुधार किया जा सकता है। 

सिजोफ्रेनिया के प्रकार

पैरानॉयड सिजोफ्रेनिया (Paranoid schizophrenia)


जब व्यक्ति को पैरानॉयड सिजोफ्रेनिया होता है तो पीड़ित व्यक्ति को जुनून, संदेह या भ्रम की स्थिति बहुत ज्यादा होती है और इस दौरान वह वैसा ही करने लगता है, जैसा उसे सही लगता है। उसकी भावनात्मक प्रतिक्रियाएं ठीक न होने के वजह से सामान्य जीवन से उसका जुड़ाव बहुत कम दिखाई देता है।


कैटेटोनिक सिजोफ्रेनिया (Catatonic schizophrenia)

कैटेटोनिक सिजोफ्रेनिया से पीड़ित इंसान शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से बिल्कुल कुंद व शांत हो जाता है, इतना ही नहीं उसके चेहरे पर बहुत कम ही कोई भाव दिखाई देता है। जैसे कि वह अधिक देर व लंबे समय तक नहीं चल सकता। इसके साथ ही उसमें पेशाब जाने, खाने या पीने तक की भावना नहीं पैदा होती है। कभी-कभी कैटेटोनिया कई घंटों तक भी रह सकता है, जिसके कारण उनके अस्पताल जाने की जरुरत हो जाती है।

अपरिभाषित सिजोफ्रेनिया (Undifferentiated schizophrenia)


जब व्यक्ति में एक से अधिक प्रकार के सिजोफ्रेनिया के लक्षण आते हैं तो इसे  अपरिभाषित सिजोफ्रेनिया कहते है। 

हेबेफेरेनिक सिजोफ्रेनिया (Hebephrenic schizophrenia)


जब रोगी के भीतर भ्रम, भावनात्मक परिवर्तन  और व्यवहार में बदलाव, अप्रत्याशित व्यवहार और गैर-जिम्मेदार जैसे लक्षण दिखते है तो इसे हेबेफेरेनिक सिजोफ्रेनिया बिल्कुल सामान्य होते हैं। इन रोगियों का मन हमेशा दुखी व उदास रहता है और इनकी ये स्थिति वर्तमान स्थिति से से मेल नहीं खाती है। 

सिजोफ्रेनिया के लक्षण

जो लोग सिजोफ्रेनिया से पीड़ित होते है उनमे अलग-अलग प्रकार के लक्षण हो सकते हैं। यह अपने आप आते है या फिर खुद-ब-खुद चले भी जाते हैं। कई बार यह पूरे जीवनकाल केवल दो या तीन बार हो सकते हैं। इस रोग की शुरुआत में, लक्षण अचानक और गंभीर भी हो सकते हैं। गंभीर मामलों में काम करने की शक्ति कम हो जाती है। 


साइकोटिक फेज में दिखाई देने वाले लक्षण हैं:

1-पीड़ित व्यक्ति को देखने, सुनने, महसूस करने या कुछ चीजों की गंध आएगी लेकिन वो वास्तविक नहीं होती हैं।

२- उन्हें लगता है लोग उसे अपने इशारे पर नचा रहे है। 

3- रोगी को अपने आप में दैवीय शक्ति होने का आभास रहता है। 

4- इस बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति को अलग किस्म के आवाजे सुनाई देती है।  इन्हे वे चीज़े दिखती है जो वास्तव में नहीं होती है।  


5- भ्रम की स्थिति में रहते है, जहां अजीबो-गरीब चीजें महसूस होती हैं, जो बिल्कुल झूठी होती हैं।


6- -पीड़ित व्यक्ति के मन में ख्याल अचानक एक से दूसरी जगह पर चला जाता है।


सिजोफ्रेनिया से पीड़ित लोगों को ये चीजें भी अनुभव होती हैंः

1-एक वक्त में बहुत सारी ऊर्जा दिखाना या फिर कैटाटैनिक बनना। ये एक ऐसी अवस्था है जिसमें शरीर बहुत कठोर हो जाता है।
2- जिसके बारे में समझ ही नहीं होना उसके बारे में बोलना।
3- खुद सही तरीके से केयर न कर पाना।
4-खुद को अलग-थलग रखना।
5-कार्यस्थलों, भीड़-भाड़ वाली जगह पर कार्य करने की छमता खो देना।
6-जीवन में कम रुचि व उल्लास दिखाना।
7- मूड में बदलाव होना।

सिजोफ्रेनिया आयुर्वेदिक उपाए - ayurvedic treatment of schizophrenia in hindi

जिनसेंग 

एक छोटे चम्मच जिनसेंग पाउडर को एक ग्लास पानी में 10 मिनट डालकर उबाले  फिर गुनगुना करके पी लें। इसमें प्रभावी न्यूरो प्रोटेक्टिव और एंटीऑक्सीडेंट होते है जो सिजोफ्रेनिया के लक्षण से आराम दिलाने में मदद कर सकते हैं। न्यूरो प्रोटेक्टिव न्यूरोन्स को दिमाग में सुरक्षित रखने में मदद करते हैं। 

ब्राह्मी 

ब्राह्मी  सिजोफ्रेनिया का इलाज करने के लिए बहुत प्रभावशाली दवा के रूप में उपयोग किया जाता है। इसमें पाए जाना वाला एंटी ऑक्सीडेंट दिमाग  स्वस्थ रखता है। डॉक्टर से सलाह लेकर इसे सप्लीमेंटके रूप में ले सकते है। 

अश्वगंधा 

अश्वगंधा के अर्क में इम्यून सिस्टम और एंटी इन्फ्लेमेटरी वाले गुण मिलते है। ये नकारात्मक विचारों को दूर रखने में मदद करते है जिससे तनाव कम होता है। ब्राह्मी टी तरह इसका भी सप्लीमेंट डॉक्टर से मश्वरा करके ही लें। 


लिकोरिस (मुलेठी) का पाउडर

दो कप पानी में दो चम्मच मुलेठी पाउडर मिलाये और तब तक उबाले जब तक यह आधा न हो जाये।  ठंडा होने पर छान कर पिए।  इसे सुबह नाश्ता करने से पहले पिए।  मुलेठी ऑक्सीजन की आपूर्ति को बेहतर करता है और कॉग्निटिव लक्षणों से राहत में सहायता करता यही जिससे दिमाग बेहतर कार्य कर पाए। 

तुलसी 



पांच तुलसी की पत्तियों को आधा कप सेज हर्ब डालकर 3 मिनट उबाले।  ठंडा होने पर पिये।  तुलसी के एंटीऑक्सीडेंट एंटी-स्ट्रेस गुण सिजोफ्रेनिया के तनाव में राहत देता है। 

  

वच 

वच में मानसिक आघात को कम करने, याददाश्त को बढ़ाने और मिर्गी में उपयोगी है। इस बूटी के तेल में कपूर मिलाकर उपयोग करने से अवसाद में लाभकारी होता है और नाड़ी भी साफ होती है। वच को काढ़े के रूप में, पाउडर की तरह इस्तेमाल कर सकते है।  विषेशज्ञ से पूछे।    

स्मृति सागर रस 

यह दो या दो से अधिक जड़ी बूटियों से तैयार होता है।  जैसे - पारद, गंधक, ताम्बा, हरितला आदि यह बुद्धि बढाती एवं सुधार करती है। 

उन्माद गज केशरी 

यह अवसाद के लिए बहुत लाभकारी है।  यह धतूरे, गंधक, पारद और मैनसिल का मिश्रण होता है 

इन सभी के अलावा, आयुर्वेद में नस्य, स्नेहापान, विरेचन,  वस्ति कर्म और अंजना सिजोफ्रेनिया के उपचार शामिल हैं। ये आपके शरीर से अमा को बाहर निकालने के लिए डिटॉक्स(detox) के रूप में कार्य करते हैं।  इसके साथ ही गुडुची,  शंखपुष्पी, मंडूकपर्णी, यष्टिमधु जैसे औषधियों का भी सेवन भी किया जाता है। लेकिन यह किसी आयुर्वेदिक एक्सपर्ट की देख में ही किया जाता है इससे पीड़ित व्यक्ति का मस्तिष्क स्थिर और ठीक होने लगता है। 

अन्य उपाए घरेलू उपाए - 

जरूरी है सामाजिक सपोर्ट 


रोगी का तनाव को शांत व कम करने के लिए उसे परिवार और मित्रो के साथ जुड़ने के तरीके सुझाएं।  सामान्य दिखने वाले लोगों के साथ समय बिताने से भी फायदा मिलता है। सिजोफ्रेनिया से पीड़ित लोग जब सामान्य लोगो से जुड़े रहते है तो अच्छा महसूस करते हैं।

तनाव को प्रबंधित करना सीखें


तनाव कम करने के लिए रिलैक्सेशन प्रैक्टिस भी काफी मददगार साबित होती है इससे शरीर के कोर्टिसोल हार्मोन के उत्पादन को बढ़ाता है और सिजोफ्रेनिया के कारण होने वाले तनाव को कम करने में मदद मिलती है। 

एक्सरसाइज करें


शरीर की गतिविधि बढ़ाने से इस रोग के लक्षणों  करने में मदद मिलती है इसके लिए एक्सरसाइज, चलने, दौड़ने,  डांस कर सकते है इससे  फोकस और ऊर्जा को बढ़ाने और रोगियों को शांत महसूस करने में मदद करती है। , तैरने, या  करने जैसी गतिविधियां मात्र दिन में 30 मिनट करने से लक्षणों को कम करने में मदद मिलती है।

उचित और अच्छी नींद लें


नियमित अच्छी और पूरी नींद लेने से मूड फ्रेश रहता है। रोगी को सात से आठ घंटे से अधिक की नींद की सलाह दी जाती है।


नशीले पदार्थों के सेवन से बचें


निकोटीन, ड्रग्स, और अल्कोहल सिजोफ्रेनिया के न सिर्फ लक्षणों को बढ़ा सकती है बल्कि दवाओं के असर को भी कम करती है।

हेल्दी खाने की आदत अपनाये 


अखरोट, फिश ऑयल और फ्लैक्ससीड्स से मिलने वाला ओमेगा -3 फैटी एसिड याददाश्त को बेहतर  को बेहतर बनाने, मूड को संतुलित और थकान से बचने करने में मदद कर सकते हैं। सही  समय पर भोजन करने और पौष्टिक खाद्य पदार्थों को डाइट में शामिल करके पर्याप्त पोषण बनाए रखने में मदद मिल सकती है।

सिजोफ्रेनिया की दवाएं और थेरेपी  - schizophrenia therepy in hindi

यदि शुरुआत में ही इस रोग की पहचान कर ली जाये और इसे कंट्रोल किया जाए तो सिजोफ्रेनिया का उपचार काम में आ सकता है। दवाओं के साथ पारिवारिक, सामाजिक और सामुदायिक सपोर्ट उपचार में प्रभावी साबित होता है। मरीजों को मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों या अस्पताल  में भेजने से इस रोग को बढ़ने से रोकने में मदद मिल सकती है।


सिजोफ्रेनिया के लिए जो दवाएं दी जाती है वे आमतौर पर  भ्रम, सनक, बुरे सपने और भ्रमित सोच जैसे मनोविकार के लक्षणों को कम करने में सहायता करती है।  फार्माकोथेरेपी सिजोफ्रेनिया के उपचार के लिए बेहद प्रभावी दवाइयां उपलब्ध कराता हैं। यह दवाइयां मनोचिकित्सा के साथ-साथ अभिव्यक्ति की कमी, प्रेरणा की कमी और सामाजिक जुड़ाव में कमी जैसे लक्षणों के इलाज करने के लिए भी उपयोगी साबित होती है।


यह थेरेपी कम्युनिकेशन और तनाव को कंट्रोल कर बेहतर बनाने के साथ ही जीवन कौशल को बेहतर बनाने में भी मददगार साबित होती है। कभी-कभी ग्रुप थेरेपी भी की जा सकती है। 



निष्कर्ष 
इस लेख में भ्रम की स्थिति यानि सिजोफ्रेनिया से राहत पाने के जो आयुर्वेदिक उपाए(ayurvedic ilaj) बताये गए है वह सामान्य जानकारी के लिए है।  उपयोग से पहले डॉक्टरी सलाह अनिवार्य है।  


कल्पना विचार के सच होने का डर

रोगी हटाश होना लगता है

कल्पना विचार के सच होने का डर

रोगी हटाश होना लगता है