Diabetic foot ulcer in hindi डाइबिटीज़ के मरीजों को पैरों में अल्सर की समस्या होने का खतरा अधिक रहता है, पैरो की यह समस्या अक्सर दो कारणों से होती है - नर्व या तंत्रिका सम्बन्धी छति (न्यूरोपैथी ) और रक्त के संचार में गड़बड़ी। आईये जानते है डाइबिटिक फुट अल्सर की जानकारी -
डाइबिटिक फुट अल्सर कैसे होता है - how does diabetic foot ulcer occur in hindi
न्यूरोपैथी के कारण पैरों की संवेदना ख़त्म हो जाती है। इस कारण कष्ट या दर्द का एहसास खत्म हो जाता है और पैरो में यदि कोई जलन या कोई कट लग जाता है तो उसका पता नही चलता है। पैरों में रक्त के संचार में खराबी या दिक्कत आने के कारण पैरो में लगने वाली चोट के ठीक होने की छमता कम जाती है। इस कारण बहुत छोटी चोट भी लगने पर संक्रमण होने का रहता है।
यदि डाइबिटीज़ को ठीक से मैनेज नहीं किया गया होता है तो मरीज की जान बचाने के लिए उसके पैर को काटना पड़ सकता है।
डाइबिटिक फुट के लक्षण - symtoms of diabetic foot in hindi
पैरों की त्वचा का बेरंग होना।
पैरों में सुन्नपन ।
पैरों में सनसनाहट।
पैरो की संवेदना कम हो जाना।
मवाद के साथ या बिना मवाद के घाव हो जाना।
डाइबिटिक फुट का उपचार - diabetic treatment in hindi
डाइबिटिक फुट की समस्या का इलाज मरीज की स्थिति और गंभीरता के हिसाब के अनुसार अलग -अलग है।
सर्जरी(surgery) के बिना इलाज - डाइबिटिक फुट समस्या का इलाज के लिए सर्जरी रहित विधियों का उपयोग किया जाता है। जैसे - घाव को साफ रखना, ड्रेसिंग करना, पैरो को स्थिर रखने वाले उपकरण पहनना।
सर्जरी से इलाज - जब बिना सर्जरी के उपचार नहीं हो पाता है तो सर्जरी कराई जाती है।
पैरों पर ध्यान दें -
- हर दिन अपने पैरों की जाँच करें। देखे कही कोई कट का निशान, सूजन(swelling) या फफोले वगैरा तो नहीं है।
- हमेशा जूते(shoese)मोज़े(soaks) पहने। कभी नंगे पैर न चलें।
- हमेशा अपने पैरो को धोये। उन्हें अच्छे से पोंछ के सुखाये।
- पैरो को गर्म पानी में न डालें क्योंकि अगर आपके पैर जलेंगे तो आपको अहसास भी नहीं होगा।